Press Release

ऐक्टू आज केन्द्रीय श्रम मंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर श्रम मंत्रालय की प्रतिक्रिया और दृष्टिकोण की कड़ी निंदा करता है. इस बैठक में यूनियनों ने कोविड-19 लॉकडाउन के 45 दिनों के दौरान उभरे मजदूरों से जुड़े हुए मुद्दों को उठाया था. यूनियनों ने इस बात की तरफ ध्यान दिलाया कि श्रम मंत्रालय ने लॉकडाउन वेतन देने और छंटनी ना होने, वेतन ना
कोविड-19 द्वारा पैदा किये गए व्यापक आर्थिक संकट का बोझ मजदूरों के कंधों पर डालने की मोदी सरकार कर रही है तैयारी हमें मालूम हुआ है कि वरिष्ठ नौकरशाहों के एक अधिकार-संपन्न समूह ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के मद्देनजर जारी आर्थिक संकट से पार पाने के लिये काम के घंटों को बढ़ाकर 12 घंटे के कार्य दिवस का प्रस्ताव दिया है. इस प्रस्ताव को फैक्टरी ऐक्ट 1948 में संशोधन कर अंजाम दिया जाएगा. यह प्रस्ताव
कोरोना वायरस लॉकडाउन के मद्देनजर: कामगार अवाम की तकलीफों का कम करने के लिये सरकार तत्काल, समुचित और गंभीर कदम उठाए! 1.70 लाख करोड़ का राहत पैकेज पूरी तरह से अपर्याप्त है, सरकार के संवेदनहीन रवैये को दर्शाता है!
आज का दिन भारतीय बैंकिंग उद्योग के लिये काला दिन है. ऐक्टू छोटी बचतों पर ब्याज दरें घटाने के सरकार के निर्णय की सख्त शब्दों में भर्त्सना करता है
स्मार पत्र सेवा में मुख्यमंत्री / उप राज्यपाल दिल्ली सरकार विषय : लॉकडाउन के कारण बेरोजगार सभी निर्माण मजदूरों को तत्काल राहत देने हेतु कोरोना वायरस के मद्देनजर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण दिल्ली में मजदूरों, खासकर दिहाड़ी और निर्माण मजदूरों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. समाज में व्याप्त गैर बराबरी व सरकारी नीतियों के कारण खस्ता-हाल स्वास्थ्य सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे के चलते, ये स्थिति विशेषकर मजदूर वर्ग के लिए
ऐक्टू महासचिव कामरेड राजीव डिमरी, अखिल भारतीय सम्मेलन के पहले दिन प्रतिनिधि सत्र की शुरुआत में ड्राफ्ट रिपोर्ट पढ़ते हुए
कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए एहतियात के तौर पर जनता की जुटान के सभी कार्यक्रम 31 मार्च तक के लिए स्‍थगित कर दिये गये हैं।
कार्यभारित अवधि में बिताई गई पूरी सेवा को पेंशन प्रदायी सेवा में गणना की जाए बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) के महासचिव श्री प्रेमचंद कुमार सिन्हा ने राज्य सरकार से मांग की है कि वित्त विभाग के संकल्प संख्या 10710 दिनांक 17/10/2013 द्वारा निहित आदेश के आलोक में पांच साल कार्यभारित अवधि में बिताई गई सेवा को एक साल पेंशन प्रदायी सेवा हेतु जोड़ने के आदेश को निरस्त कर पूरी कार्यभारित अवधि की
देश के पूरे ट्रेड यूनियन आंदोलन ने संयुक्त रूप से, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की श्रम-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ 8-9 जनवरी, 2019 को दो दिनों की देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान, दिनांक 28 सितंबर 2018 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कन्वेंशन में किया गया था. केंद्र सरकार द्वारा जानबूझकर और बेपरवाही के साथ यूनियनों के साथ कोई भी सार्थक बातचीत करने से इनकार करना और दूसरी ओर हठधर्मिता के साथ
The All India General Strike called by ten central trade unions including AICCTU and supported by many workers’ federations throughout different sectors brought down economic and social life to a virtual halt in entire country on 8-9 January 2019. This became a complete Bharat Bandh with participation of many democratic organisations including those of students, youth, women and farmers. This strike was a response to Modi government’s continued cronyism to few corrupt corporate houses and