कोयला मजदूरों की ऐतिहासिक हड़ताल
कोयला उद्योग में मोदी सरकार द्वारा 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश), कमर्शियल माइनिंग को इजाजत देने और कोल इंडिया लि. (सीआईएल) के विखंडन के विरोध में और कुछ अन्य आनुषंगिक मांगों पर 24 सितंबर 2019 की एक दिवसीय मजदूर हड़ताल वास्तव में ऐतिहासिक थी. ऐक्टू से सम्बद्ध कोल माइन्स वर्कर्स यूनियन के साथ सीटू, एटक, इंटक और एचएमएस से सम्बद्ध कोयला मजदूर यूनियनों, यानी 5 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, की संयुक्त स्ट्राइक नोटिस पर 24 सितंबर 2019 को कोयला उद्योग की सभी सब्सिडियरियों में एक दिवसीय हड़ताल आहूत की गई थी.