जांच रिपोर्ट

सरकार, रिलायंस और कृषि कानून

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन और उस पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों की चर्चा के बीच एक और खबर पर गौर कीजिये. खबर यूं है कि कर्नाटक में रिलायंस किसानों से 1000 क्विंटल धान सरकार द्वारा घोषित एमएसपी से 82 रुपया अधिक पर खरीदेगा. अंग्रेजी मीडिया में इसकी खूब चर्चा की गई. संघी विचार की वेबसाइट-ओप इंडिया ने तो इस खबर के बहाने कृषि कानूनों को बड़ा हितकारी बताया है.

फूलपुर इफ्को दुर्घटना  - तबाही के इंतजार में सरकार 

22 दिसंबर 2020 की देर रात को उत्तर प्रदेश के फूलपुर स्थित इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लि. (इफ्को खाद कारखाने) में हुए अमोनिया गैस रिसाव से दो अधिकारियों की मौत हो गई. उनकी मौत गैस रिसाव को विकराल होने से रोकने के दौरान दम घुट जाने से हुई. करीब डेढ़ दर्जन कर्मचारी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए. यदि रिसाव पर काबू न पाया गया होता तो नजारा कुछ-कुछ भोपाल गैस कांड जैसा हो सकता था. सुरक्षा मानकों के कड़ाई से अनुपालन और ऐसे नाजुक मौकों पर उपयोग में लाये जाने वाले उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई होती, तो ये जानें बचाई जा सकती थीं.

विस्ट्रॉन फैक्टरी के मजदूरों का संघर्ष

ऐक्टू की जांच टीम ने नारसापुरा औद्योगिक क्षेत्र (कोलार ज़िला, कर्नाटक) का दौरा किया और वहां 12 दिसंबर 2020 की घटना के संदर्भ में मजदूरों से मुलाकात की. इस घटना में विस्ट्रॉन फैक्टरी के हजारों मजदूरों ने अपनी कई मांगों के लिए प्रदर्शन किया था जिसमें फैक्टरी की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था और पुलिस ने मजदूरों के खिलाफ कार्रवाई की थी. यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियों में आई. 

हाथरस आंदोलन 2012 के दिल्ली आंदोलन से भिन्न है

2012-13 में दिल्ली बस गैंगरेप की घटना के बाद सैकड़ों नवयुवा भारतवासी सड़कों पर उतर पड़े थे. उनके गुस्से और झुंझलाहट के बीच सामाजिक जागृति और संस्थागत बदलावों की संभावना भी उम्मीद की एक किरण बनी हुई थी. पहली बार बलात्कार की संस्कृति, पीड़िता को दोषी मानने और सुरक्षा के नाम पर महिलाओं की स्वायत्तता पर हमले को लेकर नारीवादी चिंताओं से समाज भी जुड़ता नजर आ रहा था. ऐसा लग रहा था कि एक लंबे समय बाद शासन यह मानने को बाध्य हो सकता है कि यौन हिंसा रोकने वाले मौजूदा कानूनों ने पीड़ितों के तमाम कटु अनुभवों को दरकिनार कर रखा है.

वेज कोड (सेंट्रल) रूल्स, 2020 (मसौदा) पर ऐक्टू की आपत्तियां

(वेतन कोड मोदी सरकार द्वारा पिछले साल ही संसद में पास करवाकर कानून बना दिया गया है. कोरोना संकट को अवसर में बदलने के अपने परपीड़क सिद्वांत के तहत, अब मोदी सरकार के श्रम मंत्रालय ने कोरोना व लॉकडाउन दौर में ही इस कानून की केंद्रीय नियमावली का मसौदा तैयार कर सार्वजनिक पटल में ला दिया है, जिसका जवाब केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच और साथ ही ऐक्टू द्वारा सरकार को भेजा गया है. निम्नलिखित जवाब न्यूनतम वेतन निर्धारण के मूल सिद्धांतों पर रोशनी डालते हुए यह दर्शा रहा है कि किस तरह से सरकार न्यूनतम वेतन के अधिकार पर हमला कर रही है).

सुगौली कांड: 4 मिड-डे मील कर्मियों की मौत महज हादसा नहीं

बिहार के पूर्वी चंपारण के सुगौली स्थित भाजपा नेता रामगोपाल खण्डेवाल के गोदाम में ‘नवप्रयास’ नामक एनजीओ द्वारा मिड-डे मील योजना के तहत भोजन बनवाते हुए 16 नवंबर को घटित भीषण बॉयलर विस्फोट की घटना में 4 मिड-डे मील कर्मियों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. 

स्वाधीनता दिवस पर मोदी का भाषण -- ‘देशभक्ति’ की आड़ में साम्प्रदायिक, गरीब-विरोधी एवं कॉरपोरेट-परस्त राजनीति

स्वाधीनता दिवस पर नरेन्द्र मोदी के भाषण ने भाजपा सरकार की दूसरी पारी के लिये संघ के साम्प्रदायिक फासीवादी एजेन्डा का इशारा दे दिया है. इनमें सबसे उल्लेखनीय है छोटे परिवारों को ‘देशभक्त’ बताते हुए ‘जनसंख्या नियंत्रण’ अभियान. प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र की परिसम्पत्तियों के निजीकरण को जनता को सरकारी हस्तक्षेप से ‘मुक्त’ कराने के एक कदम के बतौर, और श्रम एवं पर्यावरण रक्षा कानूनों को ‘गैर-जरूरी’ बताने की भी कोशिश की. और अपनी सरकार की कॉरपोरेट-परस्त नीतियों को जायज ठहराने के लिये उन्होंने बड़े कॉरपोरेशनों के लिये एक नई संज्ञा का आविष्कार किया - ‘सम्पत्ति के सृजनकर्ता’.

औद्योगिक दुर्घटना की जांच रिपोर्ट 

सरकार और मालिकों के आपराधिक गठजोड़ के चलते हो रहे हैं हादसे

देश की राजधानी दिल्ली एक तरफ तो मजदूरों को रोटी के सपने दिखा अपनी ओर बुलाती है, दूसरी तरफ फैक्ट्रियों और सीवरों में उनके लिए मौत का जाल बिछाए रखती है. आए दिन दिल्ली के अलग-अलग इलाकों की फैक्ट्रियों में आग लगने की ख़बरें आती रहती हैं, दिल्ली के नालों-सीवरों के अन्दर सफाई कर्मचारियों की मौत की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. दुर्घटनाओं का सिलसिला बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के लगातार जारी है. यह सिर्फ काम की अनदेखी नहीं बल्कि मुनाफे के भूखे मालिकों को मजदूरों को मारने की खुली छूट देने जैसा है.

धनबाद जिला के ईसीएल मुगमा एरिया में अवैध माइनिंग में 23 जनवरी को घटी दुर्घटना-एक जांच रिर्पोट

धनबाद जिला के निरसा थाना क्षेत्र ईसीएल मुगमा एरिया के कापासारा आउटसोर्सिंग के पास अवैध माइनिंग में 23 जनवरी को दुर्घटना में करीब 40 लोगों की मौत हुई है. 23 जनवरी को सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर अचानक बड़े पैमाने पर चाल धसने के कारण सभी 40 मजदूर दब गए. दुर्घटना के बाद जिला प्रशासन सुबह 9 बजे के बाद पहुंचा. इसके बाद, ईसीएल प्रबंधन पहुंचा, और सिर्फ एक लाश को निकालकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया जबकि तीन और मृत व्यक्तियों का नाम अखबारों में आया और उनके परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया. स्थानीय लोग खुद से मलबे को हटा रहे थे और लोगों को निकाल रहे थे.

डाईकिन मजदूरों पर लाठीचार्ज

ऐक्टू, राजस्थान कमिटी की रिपोर्ट

दिनांक 8-9 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन नीमराना, राजस्थान में स्थित ‘जापानी जोन’ के अन्दर डाईकिन व अन्य कंपनियों के मजदूरों द्वारा एक जुलूस निकाला गया. प्रबंधन ने गुंडों और पुलिस की मदद से मजदूरों के ऊपर बर्बर हमला करवाया, जिसमें दर्जनों मजदूर घायल हो गए.