Tea Workers

असम के चाय मजदूर संघर्ष की राह पर

असम के चाय मजदूरों के लिये गुजरे वर्ष 2018 के लिये कैबिनेट कमेटी ऑन पब्लिक एकाउंट (सीसीपीए) द्वारा की गई 8.33 प्रतिशत बोनस की घोषणा ने चाय मजदूरों के बीच तीव्र जन-विक्षोभ पैदा कर दिया है. ट्रेड यूनियनों के संयुक्त फोरम - ज्वायंट ऐक्शन कमेटी आफ टी वर्कर्स (जेएसीटीडब्लू), जिसमें असम संग्रामी चाह श्रमिक संघ (संबद्ध ऐक्टू) भी भागीदार है, और सामाजिक संगठनों ने मिलकर 20 प्रतिशत बोनस देने की मांग पर 12 सितम्बर 2019 को राज्यव्यापी प्रतिवाद प्रदर्शन का आह्वान किया.

न्यूनतम वेतन में वृद्धि के लिए असम में चाय बागान मजदूरों की हड़ताल

20 अगस्त 2018 को, ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑफ टी वर्कर्स वेज (जेएसीटीडब्लूडब्लू) ने चाय बागान मजदूरों के लिए 351.33रु. दिहाड़ी की मांग के लिए एक दिवसीय हड़ताल (बागिसा बंद) का आहृान किया. ये असम के चाय बागान मजदूरों की लंबे समय से चली आ रही मांग है, और जेएसीटीडब्लूडब्लू ने इसी मांग के आधार पर यह संघर्ष खड़ा किया है.

पश्चिम बंगाल में चाय बागान मजदूरों की हड़ताल

पश्चिम बंगाल हो या असम, चाय बागान के दिहाड़ी मजदूर भूखों मर रहे हैं. भारतीय रेल के बाद चाय-बागान देश की दूसरे नंबर का सबसे ज्यादा श्रम-शक्ति का इस्तेमाल करने वाला उद्योग है, जहां लाखों मजदूरों को गुज़ारे लायक वेतन तक से वंचित किया जा रहा है, जिसका नतीजा है भुखमरी से मौत, और ये भयावह हालत सिर्फ बंद चाय-बागानों तक ही सीमित नहीं है.