जेएनयू में संयुक्त वामपंथी पैनल को विशाल जनादेश

जेएनयू में छात्र संघ का चुनाव उस वक्त हुआ है जब जेएनयू और देश भर के अन्य विश्वविद्यालयों के खिलाफ अभूतपूर्व हमले किए जा रहे हैं. शोध व अन्य कार्यक्रमों में सीटों में कटौती करके और फीस में भारी वृद्धि कर सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक गरीब छात्रों की पहुंच को सीमित किया जा रहा है. इसके साथ ही, पाठ्यक्रमों में संशोधन और विभिन्न संस्थानों में संघ के करीबी लोगों की नियुक्ति के जरिये शिक्षा का भगवाकरण करने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. कैंपस के अंदर और बाहर होने वाली बहसों, चर्चाओं और आलोचनात्मक चिंतन को क्रूर दमन और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. कानूनी तौर पर अनिवार्य आरक्षण और कठिन संघर्ष से प्राप्त डेप्राइवेशन प्वाइंट को सुनियोजित ढंग से हटाया जा रहा है. यही वह संदर्भ है जिसमें जेएनयू के छात्रों ने दक्षिणपंथी ताकतों को खारिज करने के लिए छात्र संघ के चुनाव में भारी तादाद में वोट डाला और वामपंथ के संयुक्त पैनल को भारी जनादेश दिया.

संयुक्त वामपंथ (आइसा-एसएफआई-डीएसएफ) ने केंद्रीय पैनल के चारों पदों को और एसआइएस (स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज), एसएसएस (स्कूल आॅफ सोशल स्टडीज) तथा एसएल (स्कूल आॅफ लैंग्वेजेस्) के 13 काउंसिलर समेत इन शाखाओं के संयोजकों के पद भी जीत लिए. आइसा की गीता कुमारी अध्यक्ष के बतौर निर्वाचित हुईं, और साथ ही आइसा की ही सिमोन जोया खान उपाध्यक्ष, एसएफआई के डुग्गीराला श्रीकृष्णा महासचिव और डीएसएफ के शुभांशु सिंह संयुक्त सचिव के पद पर विजयी हुए हैं. एकताबद्ध वामपंथ ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव के पदों पर एबीवीपी उम्मीदवारों को क्रमशः 464, 848, 1107 और 835 मतों से पराजित किया.

जेएनयू के छात्रों ने उन दक्षिणपंथी ताकतों के खिलाफ निर्णायक फैसला दिया है जो वस्तुतः जेएनयू को बंद करने की मांग कर रहे थे. वाम एकता को यह जीत उस चुनाव में मिली है जिसमें चुनाव को सिर्फ छात्रों के बीच लड़ी जानेवाली चीज नहीं रहने दिया गया था. भारी-भरकम विश्वविद्यालय तंत्र के साथ-साथ जेएनयू प्रशासन और भाजपा-आरएसएस, ये सब-के-सब एबीवीपी की समर्थक टीम के हिस्सा थे. जेएनयू में वामपंथी शक्तियों की विजय समावेशी और समतामूलक उच्च शिक्षा के विचार की जीत है. गीता कुमारी ने इस विजय को मौत की शिकार बना दी गई पत्रकार गौरी लंकेश को समर्पित किया है, जो दक्षिणपंथी ताकतों के खिलाफ प्रतिरोध की सशक्त आवाज थीं. गीता ने पैनल का संकल्प भी दुहराया कि वह आने वाले दिनों में छात्र संघर्ष को शक्तिशाली बनाएगा.