ऐक्टू से संबद्ध रेवले यूनियनों द्वारा ऑल इंडिया सेंटर ऑफ रेलवे वर्कर्स (एआइसीआरडब्लू) का गठन.

नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन (एनसीआरडब्लूयू) द्वारा ऐक्टू और एआइसीआरडब्लू से संबद्ध होने का फैसला

10 सितम्बर को आसनसोल, प. बंगाल में हुई बैठक में ऐक्टू से संबद्ध रेवले यूनियनों ने ऑल इंडिया सेंटर ऑफ रेलवे वर्कर्स (एआइसीआरडब्लू) का गठन किया. इसके उपरांत 20 सितम्बर को इलाहाबाद के कोरल क्लब में ऐक्टू, एनसीआरडब्लूयू और रेलवे में ऐक्टू के नवगठित फेडरेशन एआइसीआरडब्लू के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में एनसीआरडब्लूयू की तरफ से उसके महासचिव मनोज कुमार पांडे, एस.एन. ठाकुर, आर.एन. बनर्जी, राजीव सिंह और अन्य नेता और कार्यकर्ता शामिल थे. एआइसीआरडब्लू का प्रतिनिधित्व रबी सेन, श्याम अंकुरम, और पार्थ बनर्जी कर रहे थे. ऐक्टू की तरफ से यू.पी. राज्य महासचिव अनिल वर्मा और कमल उसरी उपस्थित थे. 4 घंटे चली इस बैठक में बहुत ही उत्साहपूर्ण चर्चा हुई जिसमें रबी सेन ने रेलवे के बारे में और ऐक्टू/एआइसीआरडब्लू के नज़रिए को सबके सामने प्रस्तुत किया. बैठक के खत्म होने पर एनसीआरडब्लूयू ने खुद को एआइसीआरडब्लू का हिस्सा बनाने और ऐक्टू से संबद्ध होने के प्रति इच्छा जाहिर की. इसके लिए एनसीआरडब्लूयू के चार/पांच कामरेडों ने एआइसीआरडब्लू की तैयारी समिति में शामिल होने का निर्णय लिया यहां ये भी फैसला किया गया कि एनसीआरडब्लूयूएआइसीआरडब्लू के उस दस्ते का हिस्सा होगा जो 9 नवम्बर को दिल्ली में होने वाले धरने में शामिल हो रहा है. बैठक का समापन महासचिव मनोज शर्मा की अभिव्यक्ति ”नई सोच, नई उम्मीद” की भावना के साथ खत्म हुई.

बैठक में यह सामने आया कि कर्मचारियों की मांगों पर बिना किसी सार्थक समझौते के 11 जुलाई 2016 को निर्धारित केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल को वापस लेने से रेलवे कर्मचारियों और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी थी. एन.सी. रेलवे की दोनों ही मान्यता प्राप्त फेडरेशनों से संबंधित कुछ ट्रेड यूनियन नेताओं और काडरों ने इनके नेतृत्व के पतित समर्पण के खिलाफ बगावत कर दी. 2016 के अंत में उत्तर-मध्य रेलवे मजदूर यूनियन यानी एनसीआरडब्लूयू का गठन किया गया. नवगठित यूनियन की शुरुआत खासे बड़े जनाधार के साथ हुई और हालांकि ये बिल्कुल ही नए प्रतियोगी थे, फिर भी इलाहाबाद के कोरल क्लब के प्रबंध निकाय के चुनावों में ये विजित रहे. वे कोओपरेटिव बैंक में भी 6 प्रतिनिधि पद एवं दो निदेशक पदों पर जीत दर्ज कराने में भी कामयाब रहे. लेकिन ये यूनियन सिर्फ एक सीमित दृष्टिकोण के साथ जोनल यूनियन बने रहने में संतुष्ट नहीं थी, बल्कि देश के रेलवेमेन आंदोलन को पूरी तरह बदलने के लिए नई दिशा की तलाश में थी. वे ऐक्टू के संघर्ष के नज़रिए से बहुत प्रभावित हुए हैं. उन्हें ऐक्टू के रेलवे में फेडरेशन बनाने के प्रयासों के बारे में भी पता चला और वो ऐक्टू के रेलवे के कामरेडों के साथ बैठक करना चाहते थे ताकि इस विषय में एक साफ समझदारी बन सके.