ऐक्टू के बैनर तले बिहार में बालू मजदूरों द्वारा चक्का जाम

बालू (रेत) मजदूरों एवं नाविकों के ज्वलंत सवालों को लेकर ‘बिहार बालू मजदूर एवं नाविक कल्याण संघ’ (संबद्ध ऐक्टू) के नेतृत्व में सैकड़ों बालू मजदूरों व नाविकों ने 11 सितम्बर 2017 को पटना जिले के बिहटा रेलवे स्टेशन पर रेल का चक्का जाम आंदोलन संगठित किया. स्टेशन पर भारी तादाद में पुलिस बंदोबस्ती के बावजूद मजदूर प्लैटफार्म पर जा पहुंचे. मजदूरों ने बिहटा रेलवे रेलवे स्टेशन के एक नंबर प्लैटफार्म को जाम करके वहां घंटो सभा की और इस दौरान मौके पर आये एसपी को खान मंत्री व जिलाधिकारी के नाम ज्ञापित पांच सूत्री मांगपत्र दिया.

ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार, बालू व नाविक कल्याण संघ के नेता गोपाल सिंह, निर्माण मजदूर यूनियन नेता श्याम साव, खेमस नेता गुरुदेव, माले-नेता राकेश कुमार के नेतृत्व में सैकड़ों बालू मजदूरों व नाविकों ने बिहटा चैराहा से जुलूस निकाला और वे मेन बाजार होते हुए बिहटा रेलवे स्टेशन पहुंचकर रेल का चक्का जाम करने के लिये प्लैटफार्म पर पहुंच गये. पुलिस की मौजूदगी में हुई बालू मजदूरों की सभा को रणविजय कुमार और गोपाल सिंह ने सम्बोधित किया.

सभा को सम्बोधित करते हए वक्ताओं ने कहा कि बालू निकासी का सवाल सरकार के लिये राॅयल्टी वसूलने और बालू ठीकेदारों के लिए अधिक मुनाफा कमाने का सवाल हो सकता है, मगर मजदूरों के लिए तो यह रोजगार की सुरक्षा व परिवार का पेट पालने का सवाल है. उन्होंने नीतीश सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस प्रकृति-प्रदत्त बालू पर मजदूरों को उनके नैसर्गिक अधिकार से वंचित करने का अपराध कर रही है. नेताओं ने कहा कि बालू पर पहला हक मजदूरों का है, मगर दुर्भाग्य है कि आज़ादी के बाद से सभी सरकारों ने, न्याय के साथ विकास करने का दम भरने वाली नीतीश सरकार ने भी, मजदूरों को बालू व घाटों पर उनके कानूनी अधिकार से वंचित रखने का ही काम किया है, जिसके कारण आज हजारो लाखों मजदूर बेकार हो गये है, और पलायन करने या कम कीमत पर मजदूरी करने को विवश हैं. उधर मकान मालिक 10 गुना ज्यादा कीमत देकर बालू खरीद रहे हैं. घाटों की नीलामी ही माफिया की जननी है. मजदूरों को बालू पर कोई अधिकार न देकर सरकार ने जानबूझकर माफिया को बढ़ावा दिया है. बालू पर मजदूरों को कानूनी अधिकार मिलते ही माफियाओं की कहानी खुद समाप्त हो जायेगी.

वक्ताओं ने मनरेगा कानून की तर्ज पर बालू निकासी में मशीनों के प्रयोग पर पूर्ण रोक लगाने की मांग की. खनन मंत्री व श्रम विभाग के प्रधान सचिव को मांगों से सम्बन्धित पांच सूत्री मांगपत्र में माफिया पर रोक लगाने, इसके लिये मनरेगा की तर्ज पर बालू निकासी में मशीनों के उपयोग पर पूर्ण रोक लगाने, मजदूरों को रोजगार से वंचित न करने, प्रकृति प्रदत्त बालू व घाटों पर बालू मजदूरों व नाविकों को कानूनी अधिकार व सामाजिक सुरक्षा देने, बालू निकासी तुरंत चालू करने व प्रभावित मजदूरों को बेकारी अवधि का भत्ता देने की मांगें प्रमुख हैं. इस संदर्भ में सरकार ने अब तक कोई प्रयास नही किया है.

नेताओं ने सभा से घोषणा की कि एक सप्ताह के अंदर बालू निकासी चालू नहीं होने पर मजदूर और नाविक बालू निकालने के लिए एक साथ नदी में उतरेंगे. साथ ही ‘बालू बचाओ-रोजगार बचाओ, बालू पर कानूनी अधिकार जमाओ’ सम्मेलन किया जाएगा.