IT Sector

विस्ट्रॉन फैक्टरी के मजदूरों का संघर्ष

ऐक्टू की जांच टीम ने नारसापुरा औद्योगिक क्षेत्र (कोलार ज़िला, कर्नाटक) का दौरा किया और वहां 12 दिसंबर 2020 की घटना के संदर्भ में मजदूरों से मुलाकात की. इस घटना में विस्ट्रॉन फैक्टरी के हजारों मजदूरों ने अपनी कई मांगों के लिए प्रदर्शन किया था जिसमें फैक्टरी की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था और पुलिस ने मजदूरों के खिलाफ कार्रवाई की थी. यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियों में आई. 

सार्वजनिक क्षेत्र कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा एक आरटीआई के आधार पर 24 अगस्त 2020 को दी गई जानकारी के अनुसार निम्नलिखित 26 सार्वजनिक क्षेत्र कंपनियों में सरकार रणनीतिक विनिवेश (यानी पूर्ण बिक्री) को अंजाम दे रही है. ये कंपनियां हैंः

बिहार में चयनित आईटी मैनेजर अभ्यर्थियों को मिली बड़ी जीत 

बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी (बीपीएसएम ) द्वारा नवंबर 2017 में 150 चयनित आईटी मैनेजर अभ्यर्थियों के गठित पैनल को समिति द्वारा 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण की आड़ में 11 जून को मनमाने तरीके से रद्द कर दिया गया था, जिसके बाद “आईटी मैनेजर चयनित अभ्यर्थी संघ“ द्वारा 2 महीने लड़ी गयी लड़ाई के उपरांत बिहार सरकार को बीपीएसएम को पुनः 24 जुलाई ’19 को आदेश जारी कर पैनल बहाल करना पड़ा है.

इस पैनल में कुल 150 में से चयन से वंचित 114 चयनित आईटी मैनेजरों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है.

‘आईटी मैनेजर चयनित अभ्यर्थी संघ’ के बैनर तले पटना में प्रदर्शन 

बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी (बीपीएसीएम) द्वारा नवंबर 2017 के रद्द पैनल में शेष बचे लगभग 114 चयनित आईटी मैनेजर अभ्यर्थियों को भारत सरकार के 10 प्रतिशत नए आरक्षण नियमों, जैसे - रोस्टर के तहत पूर्व के आवेदन पर नियोजन की गारन्टी करने, भारत सरकार के 31 जनवरी के निर्देशानुसार रद्द पैनल को तत्काल पुनर्गठित (रिकास्ट) किये जाने और वर्षों से नियोजन का इंतज़ार कर रहे सभी कोटि के आईटी मैनेजर अभ्यर्थियों को 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के लिये नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर नहीं करने तथा नई चयन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांगों को लेकर 26 जून ’19 को आईटी मैनेजर चयनित अभ्यर्थी संघ, छात्र संगठन आइसा और इं

आईटी सेक्टर में व्यापक छंटनी

दिसम्बर 2014 में, चेन्नई और भारत के अन्य हिस्सों में आईटी (सूचना एवं प्रौद्योगिकी) इंडस्ट्री के कर्मचारियों ने व्यापक छंटनी के फैसले को चुनौती दी थी. उन्होंने एक प्रदर्शन आयोजित किया और प्रबंधन एवं कर्मचारियों के बीच समझौते के लिए लेबर कमिश्नर को एक ज्ञापन सौंपा. इस प्रतिरोध से यह धारणा तो टूटी कि आईटी कर्मचारी जिन्हें अपेक्षाकृत ज्यादा वेतन मिलता है वे कभी यूनियन नहीं बना सकते, गोलबंद नहीं हो सकते. इनकी यह पहलकदमी जल्द ही पुणे, बंगलूरू, मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद और भुवनेश्वर जैसे अन्य शहरों में भी फैल गई.