मोजर बेअर इंडिया लि. में तालाबन्दी के शिकार कर्मचारियों के पक्ष में उठ खडे हों!

मोजर बेअर इंडिया लि. में तालाबन्दी के शिकार कर्मचारियों के पक्ष में उठ खडे हों!

मोजर बेअर इंडिया लिमिटेड जो ग्रेटर नोएडा, उ.प्र. मे अवस्थित है, गत चार नवम्बर 2017 से तालाबंदी का शिकार है. आमतौर पर तालाबन्दी वहीं होती है जहां के कर्मचारी अपनी कुछ मॉगों के लिए आन्दोलन कर रहे होते हैं, लेकिन मोजर बेअर में इस तरह का कोई मामला भी नहीं था, सभी काम सामान्य रूप से चल रहे थे. अचानक मालिक-प्रबन्धन की ओर से कर्मचारियों के मोबाइल पर मैसेज भेज कर सूचना दी जाने लगी कि मोजर बेअर इंडिया लि. में दो दिनों की छुट्टी दी गई है. तीसरे दिन जब कर्मचारी ड्यू्ूटी करने पहुंचे तो मेन गेट पर ताला लगा पाया. वहॉ किसी तरह की सूचना नही लगी थी, न ही प्रबन्धन की ओर से कोई कुछ बताने वाला ही था. सभी कर्मचारी स्तब्ध रह गए, उसी समय से ताला खुलवाने के लिए कर्मचारी, ‘मोजरबेयर कर्मचारी यूुनियन’ के बैनर तले सरकार के तमाम महकमों डी.एल.सी., डी.एम. श्रममंत्री इत्यादी के पास लिखित एंव धरना प्रदर्शनों के द्वारा गुहार लगा रहे हैं. नोएडा, दिल्ली जैसे मंहगे शहरों में 15-20 वर्षों से काम कर रहे 2,500 कर्मचारी तीन महीनों से बिना वेतन के अपने परिवार का खर्च किस प्रकार चला रहे हैं, सोचने की बात है. राशन-पानी, बच्चों की पढाई-लिखाई, शादी-ब्याह, बीमारी, बूढ़े माता-पिता के खर्च की समस्याएं सबों के सामने उपस्थित हैं. कई मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, इलाज बिना मौत हो रही है, एक कर्मचारी के पिता की मौत तालाबन्दी की बात सुन कर ही हो गई. अब तक सरकार की ओर से केवल आश्वासन ही मिल रहा है. इस हालत मे जरूरी है कि सभी प्राइवेट कम्पनियों , प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारी मोजर बेअर के कर्मचारी के पक्ष मे खडे होकर गैरकानूनी तालाबंदी को खुलवाने में मदद करें. सवाल केवल मोजर बेअर के कर्मचारियों का नहीं है, तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में ये हालात बन रहे हैं, घाटे की आड़ में तालाबंदी और हायर-फायर की नीति धड़ल्ले से अमल में लाई जा रही है, जो कि और कुछ नहीं पूंजीपतियों के मुनाफों को सुनिश्चित करने की नीति है. आंदोलन तेज करके ही मालिक-सरकार गंठजोड़ का जवाब दिया जा सकता है- ‘‘ताला खोलो काम दो, वेतन का भुगतान करो’’. ‘मोजर बेअर कर्मचारी यूनियन’ की ओर से रमेश कुमार वर्मा