केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने श्रम मंत्री के साथ वार्ता में श्रम कोडों पर रोक लगाने की मांग की 

(20 जनवरी 2021 को भारत सरकार के श्रम मंत्री ने श्रम कोडों के नियमों पर चर्चा के लिये केंद्रीय ट्रेड यूनियनों को श्रम मंत्रालय में बैठक के लिये बुलाया. बैठक में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने श्रम कोडों पर रोक लगाने की मांग करते हुए नियमों पर चर्चा करने से इंकार कर दिया. प्रस्तुत है संयुक्त मंच द्वारा दिया गया पत्र और बयानः)

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच श्रम कोड और साथ ही इन कोडों पर नियम बनाने के सरकार के कदम को सीधे तौर पर अस्वीकार करती है. ये कोड केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की सलाह लिए और संसद में चर्चा किये बगैर पारित कर दिये गये, जब विपक्ष के सभी सांसद अनुपस्थित थे क्योंकि वे निष्कासित किये गये सांसदों को वापस बुलाने की मांग पर सत्र का बहिष्कार कर रहे थे. कुछ सांसदों ने सरकार को लिखित में भी यह प्रस्ताव भेजा था कि श्रम कोडों को लाने में किसी तरह की जल्दबाजी न की जाए और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ट्रेड यूनियनों के साथ और साथ ही संसद में गंभीर चर्चा की जाए जिसका संबंध देश के लगभग 50 करोड़ कर्मचारियों से है. परंतु सरकार संसदीय नियमों और त्रिपक्षीय परामर्श का उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय श्रम मानक और आई.एल.ओ. कन्वेंशनों, जिसपर भारत के हस्ताक्षर हैं, के प्रति अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की अवमानना करते हुए इन श्रम कोडों पर अपनी कार्यवाही आगे बढ़ा रही है. केंद्रीय ट्रेड यूनियनें पहले से ही सरकार की इस मनमानी कार्यप्रणाली का विरोध कर रही हैं जिसके द्वारा 40 श्रम कानूनों को केवल 4 कोड में परिवर्तित किया गया है. 

श्रम तथा रोजगार मंत्रालय द्वारा बुलाई गई इस बैठक में, दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनें स्पष्ट तौर पर विरोध करते हुए कहती हैं किः 

  1. जब केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 4 श्रम कोड अस्वीकार कर दिये हैं, तो वे इस स्थिति में नहीं हैं कि इन 4 श्रम कोड के नियमों के बारे में चर्चा करें.
  2. वास्तव में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 4 श्रम कोडों पर जो प्रस्ताव पेश किये थे, उन पर भी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. वैसे भी, इन श्रम कोडों को यूनियनों की सलाह बगैर बनाया गया और सार्वजनिक कर दिया गया था, जो कि प्रक्रिया के खिलाफ है.
  3. इसके अलावा जो मसौदा श्रम कोड सुझावों के लिये सार्वजनिक किये गये और फिर जिन्हें कैबिनेट ने स्वीकार कर अंततः संसद में पेश कर पास कराया, बिलकुल अलग हैं.
  4. 3 श्रम कोडों पर संसद की स्थायी समिति द्वारा जो सुझाव दिये गये थे, उनको भी सरकार ने खारिज कर दिया.
  5. सरकार आई.एल.ओ कन्वेंशनों के अनुसार जरूरी द्विपक्षीय या त्रिपक्षीय वार्ताओं पर बिल्कुल गंभीर नहीं है. सरकार पूंजीपतियों और मालिकों के संगठनों के दबाव में इन श्रम कोडों को लागू करने में जल्दबाजी कर रही है. 

केंद्रीय ट्रेड यूनियनें मांग करती हैं कि सभी 4 कोडों पर तत्काल रोक लगाई जाय और फिर ट्रेड यूनियनों के साथ हर श्रम कोड पर नये सिरे से वार्ता शुरु की जाय. उन्होंने इस बैठक को मुद्दे से भटकाना बताते हुए कहा कि इस बैठक को परामर्श न माना जाए. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने पिछले पांच सालों से भारतीय श्रम सम्मेलन के आयोजित न कराने का भी विरोध किया. ु