कामरेड मथुरा पासवान को लाल सलाम!

ऐक्टू के केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य, दिल्ली राज्य उपाध्यक्ष और भाकपा-माले की दिल्ली राज्य कमेटी के सदस्य का. मथुरा पासवान का 67 वर्ष की आयु में 8 जनवरी 2020 को सुबह 5 बजे हृदय गति रुक जाने से अपने पैतृक गांव सिंघाड़ा कोपा (दुल्हिन बाजार, पटना) में निधन हो गया. 

गरीब परिवार में जन्मे का. मथुरा पासवान 1981 में माले से जुड़े थे. उस समय मध्य बिहार के गांव-गांव में जन कल्याण समिति के बैनर तले सामंती उत्पीड़न के खिलाफ और गरीबों के मान-सम्मान के लिए संघर्ष चल रहा था. का. मथुरा उन संघर्षों में कूद पड़े और जल्द ही जन कल्याण समिति के प्रखंड प्रभारी और जब 1982 में बिहार प्रदेश किसान सभा का गठन हुआ, तो किसान सभा के प्रखंड अध्यक्ष बनाए गए. उन्होंने अपने इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय पर सामंती-सांप्रदायिक हमले के खिलाफ जनता को लामबंद किया और कब्रिस्तान के लिए आरक्षित सार्वजनिक जमीन पर सामंती ताकतों के कब्जे के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने आम जन को भी अल्पसंख्यकों के समर्थन में गोलबंद किया.

आजीविका की तलाश में वे 1984-85 में दिल्ली चले गए और वहां आजादपुर सब्जी मंडी में मुंशी के बतौर काम करने लगे. जल्द ही वे यहां पार्टी से जुड़ गए और मंडी मजदूरों के संघर्ष का नेतृत्व करने लगे. वे ऑल इंडिया जनरल कामगार यूनियन के मंडी ब्रांच के अध्यक्ष बने और अंत समय तक वे इस पद पर बने रहे. 2007 में उनको काम से निकाल दिया गया. लेकिन उन्होंने दिलेरी से अपना यूनियन कार्य जारी रखा. वे 2009 के लोकसभा चुनाव में बाहरी दिल्ली क्षेत्र से माले उम्मीदवार के बतौर चुनाव भी लड़े.

अपने कठिन कठोर कार्य और हंसमुख स्वभाव के चलते संगठन के अंदर और बाहर के लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय थे. उन्होंने अनेक लोगों को पार्टी सदस्य बनाया जिनमें कई तो आज उस इलाके के पार्टी नेता की भूमिका अदा कर रहे हैं. जनता और पार्टी के लिए उनकी प्रतिबद्धता हम सब के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी.

वजीरपुर इलाके के सैकड़ों मजदूरों ने एक साथ खड़े होकर और दिल्ली के शहीद चौक पर 8 जनवरी को एकत्र तमाम ट्रेड यूनियनों के लोगों ने उन्हें दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी.  

का. मथुरा पासवान की संघर्षशील विरासत जिंदाबाद!