रेलवे फेडरेशन आईआरईएफ द्वारा जारी अपील

(यह अपील इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन (आईआरईएफ-संबद्ध ऐक्टू) द्वारा रेलवे में यूनियन मान्यता के लिये शीघ्र ही होने वाले चुनावों के लिये तमाम कैटिगोरिकल व अन्य यूनियनों के लिये जारी की गई थी.)

प्रिय साथी,

हम सभी कैटिगोरिकल और जोनल यूनियनें एक ही नाव के यात्री हैं, जो मोदी सरकार-2 द्वारा चलाई जा रही आक्रामक, क्रूर नवउदारवादी आर्थिक नीतियों की चुनौतियों का सामना कर रही हैं. सरकार के ‘100-दिवसीय ऐक्शन प्लान’ के चलते एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई है जिसके तहत रेलवे की विशाल संपत्ति समेत तमाम राष्ट्रीय संपत्ति के टुकड़े-टुकड़े कर उसे घरेलू/विदेशी पूंजी के हाथों सौंपने की साजिश की जा रही है. रेलवे मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षे़त्र (पीएसयू) कंसल्टेंसी कंपनी, ‘‘राइट्स लिमिटेड’’ को सौ दिनों के भीतर मॉडर्न कोच फैक्ट्री, रायबरेली के निगमीकरण पर अपनी अध्ययन रिपोर्ट सौंपने के लिए नियुक्त किया गया है, और फिर अन्य 6 उत्पादन केंद्रों को धीरे-धीरे भारतीय रेल की नई कंपनी, “इंडियन रेलवे रोलिंग स्टॉक कंपनी” के अधीन लाया जाएगा.  तेजस जैसी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन को निजी ऑपरेटरों के हाथों सौंपने के लिए चिन्हित कर दिया गया है. सभी शताब्दी और राजधानी एक्स्प्रेस ट्रेनों को पहले आईआरसीटीसी और फिर निजी ऑपरेटरों के हवाले कर दिया जाएगा. रेलवे बोर्ड के इशारे पर रेलवे के आधे यानी 6.5 लाख कर्मचारियों को हटाने की साजिश चल रही है. शुरू करने के लिये, 3.5 लाख रेल कर्मचारियों, जिन्होंने 30 साल की सेवा या 55 वर्ष की आयु पूरी कर ली है, की एक सूची तैयार और प्रकाशित करने का आदेश सभी डिवीजनों को दे दिया गया है.

आपका संगठन मोदी सरकार के ऐसे राष्ट्र-विरोधी और मजदूर व जन विरोधी कदमों के खिलाफ संघर्षरत है, और इस संघर्ष में हम आपके साथ खड़े हैं. आपने इस बीच, देशव्यापी अनशन, व्यापक प्रदर्शनों, इत्यादि का आयोजन किया है जिन्हें हम सलाम करते हैं. 
 

एक वैकल्पिक रेल मजदूर आंदोलन की ओर 

रेलवे ट्रेड यूनियन आंदोलन आज चौराहे पर खड़ा है. सरकार और रेलवे प्रशासन की ओर से हमले कई गुना बढ़ गए हैं. लेकिन, दुर्भाग्यवश, यहां की स्थापित यूनियनें खतरनाक चुप्पी साधे हुई हैं. ऐसा लगता है कि ये यूनियनें बिक गई हैं. 1974 से लेकर अब तक रेलवे में कोई बड़ा आंदोलन नहीं हुआ है. यहां ट्रेड यूनियन आंदोलन शिथिल अवस्था में है. 

लेकिन वस्तुगत परिस्थितियां ट्रेड यूनियनों और रेलवे मजदूर आंदोलन से माकूल जवाबी संघर्ष की मांग कर रही हैं. ऐसी परिस्थिति में हमें एक मजबूत, संघर्षरत, वैकल्पिक फेडरेशन की ज़रूरत है जिसके पास कोई वैकल्पिक नज़रिया और कार्यक्रम हो जो रेलवे मजदूर आंदोलन में फिर से जोश भर के उसे खड़ा कर सके. 

एक विशाल नेटवर्क, जहां भारी संख्या में मजदूर काम करते हैं, के नाते हम रेलवे मजदूर आंदोलन को फ्रांस जैसे कई देशों में मजदूर वर्ग के आंदोलन के हिरावल दस्ते की भूमिका निभाते हुए देख सकते हैं. हमारे देश में भी, 1974 में रेलवे मजदूर आंदोलन का देश के मजदूर वर्ग आंदोलन के इतिहास में एक गौरवमयी अध्याय रहा है. 13 लाख मजदूरों की संघर्षशील और अपने हक हासिल करने की ताकत यूनियनों के नौकरशहाना और प्रबंधन-परस्त नेतृत्व के चलते बिखर रही है. 

इसी पृष्ठभूमि में, हमने अपने नये, वैकल्पिक फेडरेशन का हाल में सम्मेलन किया था जिसने संकल्प लियाः 

  • 1974 के रेलवे मजदूर आंदोलन की संघर्षशील विरासत को आगे बढ़ाएं!
  • सत्ता को चुनौती दे सकने वाली मजबूत और संघर्षशील ताकत बनें!
  • एक वैकल्पिक वाम नज़रिए और कार्यक्रम वाले फेडरेशन और रेल कर्मियों के आंदोलन को मजबूत बनाएं!
  • ट्रेड यूनियन नेतृत्व के नौकरशाहीकरण और मौकापरस्ती के खिलाफ संघर्ष तेज करें!
  • ट्रेड यूनियन का जनवादीकरण और, मजदूरों को वर्ग चेतना से लैस करें!

हमारा महासंघ, इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन (आईआरईएफ) पूरे देश में 15 संबद्ध यूनियनों के साथ निजीकरण के खिलाफ एकताबद्ध आंदोलन की अगली कतार में खड़ा है. 100-दिवसीय ऐक्शन प्लान की घोषणा के बाद से हजारों रेल मजदूर अपने परिवारों के साथ सड़कों पर उतरे हुए हैं. इस बीच, यूनियनों की मान्यता के लिए गुप्त मतदान के माध्यम से चुनाव की घोषणा कर दी गई है जिसमें हमारी संबद्ध यूनियनें भी भाग लेंगी. मान्यता के लिये इस संघर्ष में दोनों मान्यताप्राप्त फेडरेशन कैसे भी करके, हर तरह के गलत तरीके इस्तेमाल करके चुनाव जीतने का पूरा प्रयास करेंगे. बीआरएमएस (बीएमएस का रेल फेडरेशन) जो मजदूर वर्ग का दुश्मन है, वह भी इंतजार में खड़ा है. आज, शासक पार्टी भाजपा से जुड़े बीआरएमएस और एआईआरएफ एवं एनएफआईआर जैसे अवसरवादी फेडरेशनों को परास्त करने के लिये तमाम रेल कर्मचारियों की ऊर्जा को समेटना तात्कालिक जरूरत है. 

हम तमाम रेल कर्मचारियों और आपकी यूनियनों के सदस्यों का इन तीनों फेडरेशनों को परास्त करने की चुनौती कबूल करने का आह्वान करते हैं. 

हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप हमारे वैकल्पिक फेडरेशन जो ऐक्टू से संबद्ध है, को अपना सहयोग व समर्थन दें.

रेलवे में संकट की इस घड़ी में, हम पूरी गंभीरता से आपके सक्रिय सहयोग की अपेक्षा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आप इस महत्वपूर्ण चुनाव में हमारे संघर्षरत फेडरेशन एवं जोनल यूनियनों को अपना बहुमूल्य समर्थन देंगे.