कामरेड ए.के. रॉय 

मार्क्सवादी कोऑर्डिनेशन कमेटी (एमसीसी) के संस्थापक नेता का0 एके रॉय ने धनबाद में 21 जुलाई 2019 को अंतिम सांस ली. का0 एके रॉय का झारखण्ड और भारत के वाम और जनवादी आन्दोलन में अमूल्य योगदान रहा है. वे धनबाद से तीन बार सांसद चुने गये थे. 

झारखण्ड कोयला मजदूरों के संघर्षों के इस महान योद्धा को उनकी सादगी और ईमानदारी के लिए भी याद किया जाता है. उन्होंने स्वेच्छा से अपने लिए अभावों वाला जीवन चुना और अंतिम समय तक धनबाद के मेहनतकश लोगों के असीम प्यार और देखभाल उन्हें मिलती रही. 

एके रॉय झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक नेताओं में से थे. उन्होंने बिनोद बिहारी महतो और सिबू सोरेन के साथ पृथक झारखण्ड राज्य के आन्दोलन को नेतृत्व दिया. 

आपातकाल के समय उन्हें जेल भेज दिया गया था. वे जनवाद के एक दृढ़ एवं अनथक योद्धा थे - जिसका उनके लिए अर्थ था कि सर्वाधिक वंचित और दमित जनों को पूरी आजादी और सभी अधिकार हासिल हों. 

आज जब झारखण्ड और पूरे देश की जनता रघुबर दास एवं मोदी की भाजपा सरकारों की निजीकरण, बेदखली की नीतियों एवं धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र पर हमलों के खिलाफ लामबंद हो रही है, ऐसे में का. एके रॉय की कमी बेहद खलेगी.  

वे एक ऐसी मशाल हैं जो भारत में क्रांतिकारियों की आगामी पीढ़ियों का मार्ग प्रशस्त कर सभी को प्रेरित करते रहेंगे. 

कामरेड ए.के. रॉय को लाल सलाम!