मजदूरों की दो दिवसीय ऐतिहासिक हड़ताल

ऐक्टू समेत देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर 8-9 जनवरी 2019 को देशव्यापी हड़ताल का आहृान किया था. यह आहृान 28 सितंबर 2018 को दिल्ली में आयोजित मजदूर सम्मेलन में भाजपा नीत एनडीए सरकार की मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी और देश-विरोधी नीतियों के खिलाफ किया गया था. भाजपा सरकार ट्रेड यूनियनों से कोई अर्थपूर्ण चर्चा नहीं कर रही थी और उसी वक्त मालिकों के पक्ष में एक के बाद एक निर्णय कर रही थी. इससे कामगार जनता की हालत असहनीय हो गई है.

आम हड़ताल की शानदार सफलता ने साफ जाहिर कर दिया है कि केन्द्र की फासीवादी मोदी सरकार अपने अंतिम दिन गिन रही है. प्रस्तुत है केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा तैयार सर्वभारतीय रिपोर्टः

हड़ताल की आने वाली रिपोर्ट के अनुसार असम, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, पुडुचेरी, केरल दोनों दिन पूर्णतः बंद थे. साथ ही, 9 जनवरी को बिहार और गोवा भी बंद थे, जबकि इन दोनों राज्यों में 8 जनवरी को बेहद सफल आम हड़ताल रही. आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश के जिला केंद्रों में बंद जैसा माहौल था क्योंकि सभी यातायात बंद थे. हड़ताल का जबरदस्त असर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश में हुआ. तेलंगाना में 8 जनवरी को आरबीआई बंद था और एनटीपीसी, एनएफसी, बीडीएल पब्लिक सेक्टर यूनिटें भी दोनों दिन बंद थीं. 9-जनवरी को यहां सभी जिला अधिकारी कार्यालयों के समक्ष जुलूस/प्रदर्शन आयोजित किये गये. आन्ध्र प्रदेश में राज्यभर में सरकारी कार्यालयों के सामने मजदूरों ने ”मानवीय श्रृंखला” बनाकर विरोध जताया. पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश में औद्योगिक हड़ताल कामयाब रही, जहां बैंक, बीमा, आरएमएस, पोस्ट ऑफिस, इनकम टैक्स और ऑडिट डिपार्टमेंट करीब-करीब 100 प्रतिशत हड़ताल पर थे. दिल्ली और एनसीआर के औद्योगिक क्षेत्रों में जबदस्त हड़ताल रही जहां कोका कोला, टोयोटा, वोल्वो, सैम्सोनाईट, क्राम्टन, सीईएटी जैसी विदेशी कंपनियों में 100 प्रतिशत हड़ताल रही. 8 जनवरी को गुडगांव में और 9 जनवरी को दिल्ली में (संसद के समक्ष) जबरदस्त मोर्चे निकाले गए जिनमें हड़ताल में शामिल तमाम केंद्रीय मजदूर संगठनों के नेतागण शामिल थे.

अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण हिस्सों पर हड़ताल का जबरदस्त असर हुआ, जैसे- बैंकिंग, बीमा पूरी तरह से देशभर में ठप थे, यहां तक कि अंडमान द्वीप में भी. बिजली उत्पादन और वितरण, कोल इंडिया के सभी कोयला खदानों में उत्पादन और संप्रेषण बुरी तरह प्रभावित रहा. गैर कोयला खदानें, लौह अयस्क की खदाने और इस्पात उत्पादन पर असर हुआ. पूरे पूर्वी और उत्तरी क्षेत्र में खनिज तेल की खुदाई, रिफाईनिंग तथा वितरण और एलपीजी वितरण 100 प्रतिशत ठप रहा. इससे कई हवाई जहाज उड़ान नहीं भर पाये, सड़क और रेल परिवहन बाधित रहा जिससे कई ट्रेनें निरस्त हो गईं. मुंबई की बस सेवा (बेस्ट) दोनों दिन पूर्णतः हड़ताल पर थी. शिक्षकों तथा विद्यार्थियों ने भी हड़ताल में सक्रिय हिस्सेदारी की. हड़तालियों ने विरोध जताने के तमाम तरीके अपनाए, जैसे जुलूस, धरने, मानवीय श्रृंखला, रास्ता रोको, रेल रोको, रात में मशाल जुलूस आदि. महाराष्ट्र में जिलाधिकारी दफ्तर के सामने मजदूरों का कवि सम्मेलन भी हुआ! दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जेएनयू शिक्षक तथा कर्मचारी 100 प्रतिशत हड़ताल पर गये. कई राज्य सरकारों ने हड़ताल की स्थिति में स्कूलों को बंद रखा.

सभी राज्यों की राजधानियों तथा जिला केंद्रों पर बड़े प्रदर्शन हुए. असंगठित क्षेत्र के मजदूर जैसे, बीड़ी, भवन निर्माण, ठेलेवाले, घरेलू कामगार महिलाएं, बड़ी तादाद में इन प्रदर्शनों में शामिल हुईं. ईपीएस-95 तथा सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी शामिल हुए. आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे मील कर्मी सभी प्रदर्शनों में भारी संख्या में शरीक हुईं. बिहार में आशा और आंगनबाड़ी कर्मी अपने मानदेय में बढ़ोतरी एवं अन्य मांगों को लेकर क्रमशः 1 व 5 दिसंबर से हड़ताल पर थीं. राज्य सरकार को आशा को मानदेय देने समेत कई मांगें माननी पड़ी और शुरूआत करने के लिये रू. 1000/- प्रतिमाह की वृद्धि 7 जनवरी को घोषित की. आंगनबाड़ी कर्मियों की मांग भी मानी गई. बावजूद इसके वे 8-9 जनवरी को भारी संख्या में हड़ताल में उतरीं. मिड-डे मील कर्मी भी दो दिवसीय अखिल भारतीय आम हड़ताल के ठीक एक दिन पहले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतर गई हैं.

सभी केंद्रों पर रेल तथा डिफेंस सेक्टर के कर्मचारी भी हड़ताल के साथ एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शनों में शामिल हुए. आईटी सेक्टर के कर्मचारियों ने बंगलौर और चेन्नई में हड़ताल को समर्थन दिया. यह उल्लेखनीय है कि कई जगहों पर किसान, जिन्होंने हाल ही में दिल्ली में अपनी मांगों को लेकर धावा बोला था, वे भी मजदूरों की हड़ताल के समर्थन में जुलूस/प्रदर्शनों में शामिल हुए.

मध्य प्रदेश में भोपाल, सिंगरौली; तमिलनाडु में तिरूपुर और सलेम, कर्नाटक में बंगलौर जैसे शहरी केंद्र पूरी तरह से बंद थे. प्रधानमंत्री के अपने राज्य गुजरात में अहमदाबाद, सुरत, राजकोट, वड़ोदरा, मेहसाणा जैसे केंद्रों में जबरदस्त प्रदर्शन हुए. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी शासित प. बंगाल में कोलकाता, बांकुरा, उत्तर-24 परगना, मेदिनापुर, हुगली, मालदा जैसे केंद्रों में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी के बावजूद उद्योग-धंधे बंद रहे और बड़े प्रदर्शन हुए. जूट मिलें और चाय बागान बंद थे. यह मजदूरों का रोष दिखलाता है.

असम, प. बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु में गिरफ्तारियां हुई, एस्मा लगाया गया, काम बंद पगार बंद के नोटिस दिये गये, सर्विस ब्रेक करने की धमकी दी गई, हजारों नए कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया, इसके बावजूद कई जगहों पर केंद्र तथा राज्य कर्मचारी हड़ताल पर गए. राजस्थान में नीमराना और अलवर में हड़ताली मजदूरों पर मालिकों के गुंडों ने हमले किए. यह लोकतंत्र पर हमला है. हम इसकी सख्त निंदा करते हैं.

इस हड़ताल में मजदूरों का जो जुझारूपन दिखा है, हम उसकी सराहना करते हैं और देश के मजदूरों को हड़ताल सफल बनाने के लिये बधाई देते हैं. यह रिपोर्ट दर्शाती है कि यह हड़ताल आज तक की सबसे बड़ी हड़ताल रही जिसमें 20 करोड़ से अधिक मजदूर शामिल हुए. हमारे सदस्यों ने जमीनी स्तर पर जो एकता दर्शायी वह भी स्वागत योग्य है, हम इस मौके पर मजदूर वर्ग से अपील करते हैं कि इस एकता को और मजबूत करें ताकि वे शोषणकारियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें. हम इस मौके पर वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन्स (डब्लूएफटीयू) और इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कंफडरेशन (आईटीयूसी) को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने भारतीय मजदूरों के इस महान संघर्ष के साथ एकजुटता जाहिर की.

हड़ताल की प्रमुख मांगें:

  • आवश्यक वस्तुओं समेत महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ठोस उपाय किये जाएं. राशन प्रणाली को सर्वव्यापी बनाओ.  
  • बेरोजगारी खत्म करो. सम्मानजनक रोजगार सृजन के लिए ठोस उपाय किये जाएं.
  • सभी के लिये वैधानिक न्यूनतम वेतन कम से कम 18,000रू. प्रतिमाह और पेंशन 6000रू. सुनिश्चित की जाए और इन्हें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) से जोडा जाए. सभी को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करो.
  • श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करो. श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन वापस लो.
  • ठेकेदारी प्रथा बंद करो. ठेका मजदूरों को उद्योग/संस्थानों में उनके जैसा काम करने वाले नियमित मजदूरों के बराबर वेतन एवं तमाम भत्ते व हित लाभ दिए जाएं.
  • स्कीम कर्मियों को श्रमिक की मान्यता दो.
  • नयी पेंशन योजना वापस लो और केंद्र व राज्य सरकारों के 1.1.2004 से नए भर्ती कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के तहत शामिल करो. सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों और स्वायत्त संस्थानों में तमाम रिक्त पदों पर नयी भर्ती सुनिश्चित की जाए.
  • सार्वजनिक क्षेत्र ईकाइयों का निजीकरण बंद करो.
  • बोनस एवं प्रोविडेंट फण्ड की अदायगी एवं पात्रता (एलिजिबिलिटि) पर से सभी बाध्यता सीमा हटाई जाएः ग्रेच्यूटी की राशि में बढ़ोतरी हो।
  • ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण 45 दिनों की समय सीमा के अंदर अनिवार्य किया जाए और आईएलओ कन्वेंशन 87 और 98 का तुरंत अनुमोदन करो.
  • रेलवे, बीमा और डिफेंस में एफडीआई बंद करो. तमाम महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एफडीआई के प्रवेश पर रोक लगाओ.