बिहार में आशा संयुक्त संघर्ष मंच का राज्यस्तरीय कन्वेंशन 1 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा

पटना में 16 नवंबर को बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ, आशा संघर्ष समिति व बिहार राज्य आशा संघ सहित बिहार के तीन आशा संघों ने आशा कार्यकर्ताओं के 12 सूत्री ज्वलन्त मांगो पर संघर्ष तेज करने के लिये एक राज्यस्तरीय कन्वेंशन का आयोजन कर बिहार में “आशा संयुक्त संघर्ष मंच“ का गठन किया ओर मांगों की पूर्ति के लिये आगामी 1 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की.

आशा कर्मियों को सरकारी कर्मी घोषित करने, सरकारी कर्मी घोषित होने के पूर्व 18 हज़ार मानदेय निर्धारित करते हुए आशाओं के लिये मानदेय चालू करने व इसके लिये 29 जून ’15 को बिहार सरकार से हुए लिखित समझौता अनुसार आशाओं को बिहार में मानदेय लागू करने के लिये बने आशा मानदेय अध्ययन समिति व अन्य लिखित मांगों को लागू करने, योग्यताधारी फेसिलिटेटरों को प्रखंड सामुदायिक समन्वयक के 50 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति करने, योग्यताधारी आशा को नर्सिंग ट्रेनिंग के लिये नर्सिंग स्कूलों में 50 प्रतिशत सीटों को आरक्षित करने सहित अन्य इस 12-सूत्री मांगपत्र में शामिल हैं.

इस कन्वेंशन से अनिश्चितकालीन हड़ताल को व्यापक रूप से सफल बनाने के लिये आहुत आंदोलनात्मक कार्यक्रम की घोषणा की गयी जिसके तहत बिहार की आशाकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान 1 से 8 दिसंबर तक सभी पीएचसी का घेराव करेंगी, 10 दिसंबर को बिहार के सभी सिविल सर्जन कार्यालय का घेराव करेंगी, 11 दिसंबर को सभी जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करेंगी एवं 13 व 14 दिसंबर को पटना में मुख्यमंत्री का घेराव करने पहुंचेगी.

इस राज्यस्तरीय कन्वेंशन का संचालन बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ प्रदेश अध्यक्ष एवं ऐक्टू की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि यादव, आशा संघर्ष समिति की मीरा सिन्हा, बिहार राज्य आशा संघ की सुनीता देवी के 3 सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने किया.

कन्वेंशन में आधार पत्र व 12 सूत्री मांगों को महासंघ (गोप गुट) के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने प्रस्तुत किया जिसका उपस्थित सभी आशा कर्मियों ने ताली बजाकर समर्थन किया.

कन्वेंशन को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों सहित अन्य कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया. सम्बोधित करने वालों में ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार, बिहार राज्य चिकित्सा कर्मचारी संघ के महासचिव विश्वनाथ सिंह, बिहार राज्य आशा संघ महामंत्री कौशलेंद्र वर्मा, अखिल भारतीय सरकारी कर्मचारी संघ महामंत्री बिंदु सिन्हा, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ (ऐक्टू) महासचिव दयाशंकर प्रसाद, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ राज्य सचिव शव्या पांडे सहित अन्य नेता शामिल थे.

वक्ताओं ने कन्वेंशन को संबोधित करते हुए मोदी-नितीश सरकार पर जमकर हमला बोला और सरकार से मांग की कि ग्रामीण स्वास्थ्य की रीढ़ बन चुकी आशा कर्मियों को बिना देर किए मोदी-नितीश सरकार को चाहिये कि फौरन सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की घोषणा करें, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि इन्हीं आशा कर्मियों के बल पर पूरे देश में हुई है लेकिन सरकार इन आशाओं को आधुनिक गुलाम बनाकर रखना चाहती है, इन्हें किसी तरह का कोई कानूनी व सामाजिक सुरक्षा का अधिकार “मोदी-नितीश“ की सरकार ने नहीं दिया है जबकि महिला सशक्तीकरण व विकास का बड़ा-बड़ा दावे करने में दोनों सरकार तनिक देर नहीं करती लेकिन इस विकास का हिस्सेदार मेहनत करने वाले आशा व इस जैसे अन्य मेहनतकशों को नहीं बनाना चाहती, उल्टे आशा सहित ऐसे दसियों लाख कामगारों को मोदी नितीश सरकार आधुनिक गुलाम बना कर रखना चाहती है.

वक्ताओं ने इसके लिए मोदी सरकार की कॉरपोरेट-परस्त नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए 1 दिसंबर से होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल को आर-पार की लड़ाई बताया और कहा इस बार आशा बहनें अपनी सभी मांगे मनवा कर ही दम लेंगी.