निर्माण मजदूरों का भागलपुर, बिहार में विशाल प्रदर्शन

बिहार की नितीश और केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों व मजदूरों के कल्याण योजना को लूट खाने की सरकारी साजिश के खिलाफ एवं मजदूरों के ऑनलाइन निबंधन करने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने, ऑनलाइन के लिए जिला श्रम कार्यालय को तत्काल केंद्र बनाने, सभी निबंधित मजदूरों को बिना शर्त अनुदान राशि का भुगतान करने, सभी मजदूरों का निबंधन करने, श्रम कार्यालय में मजदूरों के साथ सम्मानजनक व्यवहार की गारंटी करने एवं मजदूरों के वाजिब काम में होने वाले विलम्ब के एवज में प्रत्येक दिन के लिए न्यूनतम मजदूरी के बराबर मुआवजे का भुगतान करने, आदि मांगों को लेकर 26 नवंबर को बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन (संबद्ध ऐक्टू) के बैनर तले सैकड़ों निर्माण मजदूरों ने भागलपुर में उपश्रमायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. धरने का नेतृत्व निर्माण मजदूर यूनियन और ऐक्टू के राज्य सचिव कामरेड मुकेश मुक्त ने किया जबकि धरना सभा की अध्यक्षता ऐक्टू के राज्य परिषद सदस्य सुरेश प्रसाद साह ने की.

मौके पर मजदूरों को संबोधित करते हुए मुकेश मुक्त ने कहा कि पटना-दिल्ली की नितीश-मोदी सरकार की मजदूरों के प्रति नीयत में दोष है. सरकारें मजदूरों के शोषण को बढ़ावा तो दे ही रही है, मजदूरों ने  लड़कर कानून और सामाजिक सुरक्षा के स्तर पर जो कुछ सहूलियतें हासिल की है उसे भी छीन लेने पर आमादा है. मजदूरों के लिए पहले से ही नाकाफी कल्याण योजनाओं को केंद्र व राज्य की सरकारें लूट खाने की निरंतर साजिश रच रहीं हैं.

मजदूरों की समस्याओं पर बगैर वार्ता किए अधिकारियों के एक-एक कर अपने कार्यालय से फरार हो जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पटना-दिल्ली में बैठे अपने आकाओं की तरह ही अधिकारी गैरजिम्मेदार. मजदूरों के हित-लाभ के लिए गंभीर होने का सिर्फ दिखावा करते हैं. इन्हें जल्द ही इसकी इस उद्दंडता के लिए मजदूरों की ओर से मुकम्मल जवाब दिया जाएगा.

धरना सभा में मजदूरों को जगदीशपुर प्रखंड सचिव सिकंदर तांती, जिला कमिटी सदस्य अमित साह और अशोक कुमार ने भी संबोधित किया.

अधिकारियों के फरार हो जाने की स्थिति में एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मांगों से सम्बंधित ज्ञापन उपश्रमायुक्त कार्यालय को सौंपा.