दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष भवन-निर्माण मजदूरों का प्रदर्शन

8 नवंबर 2018 को ऐक्टू से संबद्ध भवन-निर्माण मजदूर यूनियन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष प्रतिवाद किया और निर्माण क्षेत्र के सभी मजदूरों के लिए बेरोजगारी भत्ते की मांग की. इस प्रतिवाद में दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से श्रमिकों ने शिरकत की. दिल्ली में प्रदूषण के बारे में चल रहे शोर-शराबे के बीच दिल्ली के सबसे गरीब मजदूर - निर्माण क्षेत्र के दैनिक भोगी श्रमिक - पूरी तरह उपेक्षा के शिकार बन गए हैं. प्रदूषण के समाधान के लिए कदम उठाना जरूरी है, लेकिन सरकार और प्रशासन को इन कदमों से प्रभावित होने वाले कामगारों की बड़ी तादाद का भी जरूर खयाल रखना चाहिए.

दिल्ली में प्रदूषण के खतरे को रोकने के नाम पर सभी निर्माण मजदूरों का काम बंद कर दिया जा रहा है जिससे हजारों गरीब मजदूरों के सामने आजीविका का घोर संकट पैदा हो गया है. ज्ञापन सौंपते हुए ऐक्टू की दिल्ली इकाई के उपाध्यक्ष राजीव ने कहा कि इस किस्म के दिखावे के उपायों से प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है. राज्य और केंद्र सरकारों को अपनी लंबे समय से चलाई जा रही धनी-परस्त व पर्यावरण-विरोधी नीतियों को बदलना पड़ेगा.

प्रतिवाद में शामिल एक निर्माण मजदूर चिंता देवी ने काम रूक जाने की वजह से उत्पन्न कठिन समस्याओं का जिक्र किया और न्यूनतम मजदूरी के बराबर बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की.

भवन मजदूर यूनियन के महासचिव वीकेएस गौतम ने प्रतिवादकारी श्रमिकों को संबोधित किया और संकल्प लिया कि अगर सरकार दिल्ली के निर्माण मजदूरों को प्रभावित करने वाले इस मुद्दे के प्रति उदासीन बनी रहती है तो इस आंदोलन को व्यापक तथा धारदार बनाया जाएगा.