अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा का राष्ट्रीय सम्मेलन

जहानाबाद में गरीब बचाओ-भाजपा भगाओ रैली

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (अ.भा.खेग्रामस) के 6ठे राष्ट्रीय सम्मेलन (19-20 नवंबर) के मौके पर 19 नवंबर 2018 को जहानाबाद के ऐतिहासिक गांधी मैदान में दसियों हजार गरीब-गुरबो, मजदूरों का जुटान हुआ. इसमें मुख्यतः जहानाबाद-अरवल जिला और उससे सटे खिजरसराय (गया) व  मसौढ़ी (पटना) आदि इलाकों से आये दलित-गरीब खेत व ग्रामीण मजदूर शामिल थे.

सम्मेलन की शुरूआत रैली व आम सभा से हुई. झंडों-बैनरों से सुसज्जित रैली मंच पर उपस्थित थे- भाकपा-माले के महासचिव एवं मुख्य वक्ता दीपंकर भट्टाचार्य, माले के वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, वरिष्ठ नेता रामजतन शर्मा, खेग्रामस के राज्य सचिव गोपाल रविदास, राज्य अध्यक्ष वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, जहानाबाद-अरवल के लोकप्रिय नेता महानंद, श्रीनिवास शर्मा, रामाधार सिंह सहित पार्टी की केंद्रीय कमिटी व राज्य कमिटी के सदस्य तथा सम्मेलन में देश भर से आए खेग्रामस के नेताओं के साथ ही विशिष्ट अतिथि के बतौर आए प्रख्यात अर्थशास्त्री ज्यां ड्रेज. बिहार में संगठित किसान आंदोलन के नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती व बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया. वरिष्ठ नेता प्रताप दास ने सम्मेलन का झंडोतोलन किया और रैली मंच के नजदीक बनी शहीद वेदी पर पुष्पांजलि देने, सभी शहीदों को एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि देने तथा भोजपुर के जनकवि कृष्ण कुमार निर्मोही द्वारा शहीद गीत प्रस्तुत करने के साथ जनसभा शुरू हुई.

सम्मेलन के दूसरे दिन कामरेड शाह चांद नगर (जहानाबाद) के कामरेड वीरेन्द्र विद्रोही सभागार में आयोजित खेग्रामस के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन के कामरेड मंजू मंच से खुले सत्र को प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर ज्यां ड्रेज ने संबोधित किया.

खुले सत्र को असम के जन आंदोलन की नेता आयफा बेगम, जेएनयू छात्रसंघ की भूतपूर्व महासचिव चिंटू कुमारी, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, बिहार ऐपवा सचिव शशि यादव, तरारी से भाकपा-माले विधायक सुदामा प्रसाद एवं अन्य ने भी सम्बोधित किया. सत्र संचालन के लिये 13 सदस्यीय अध्यक्षमंडल और 11-सदस्यीय सहायक समिति का भी गठन किया गया.

खुले सत्र के उपरांत खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने आज की राजनीतिक परिस्थिति पर संगठन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. रिपोर्ट में मोदी राज में दलित-मजदूरों की रोजी-रोटी, वास-चास, शिक्षा-स्वास्थ्य, प्रवासी मजदूरों पर हमले, बरसों से जमीन के छोटे से टुकड़े पर बसे गरीबों को उजाड़ने की चल रही लगातार कोशिशों, आदिवासियों-वनवासियों के अधिकारों पर लगातार हो रहे हमले आदि प्रश्नों को उठाया गया. इसके साथ-साथ विगत 3 वर्षों में संगठन के कामकाज की समीक्षा भी की गई है और देश के तमाम राज्यों में आंदोलन व संगठन को फैलाने पर जोर दिया गया है. नोटबंदी से तबाह हुए खेती किसानी व असंगठित क्षेत्र में नष्ट हुए दसियों करोड़ रोजगार, मजदूरों व किसानों के दरिद्रीकरण, मनरेगा में काम व भुगतान को बाजार की दैनिक मजदूरी से काफी कम निर्धारित करने की साजिश, काम नहीं मिलने पर मजदूरों को लिए बेरोजगारी भत्ता आदि के भी सवाल उठाए गए.

महासचिव के प्रतिवेदन पर कई प्रतिनिधियों ने बहस में हिस्सा लिया और अपने अनुभवों को साझा करते हुए रिपोर्ट को समृद्ध किया. सम्मेलन से 10 सूत्री प्रस्ताव भी पारित हुआ और आने वाले दिनों में संघर्ष को मजबूत करने पर जोर दिया गया.

सम्मेलन में 17 राज्यों के 961 प्रतिनिधियों और 100 से ज्यादा अतिथियों ने भाग लिया. सम्मेलन ने एलान किया है कि देश भर में गांव-पंचायतों में रोजी-रोटी, चास-वास, राशन-पेंशन, शिक्षा-स्वास्थ्य का आंदोलन तेज़ किया जायेगा और भाजपा-आरएसएस की घेराबंदी की जायेगी. सम्मेलन ने देश भर में खेग्रामस को फैलाने, ग्रामीण गरीबों का सबसे बड़ा संगठन बना देने और सदस्यता को 40 लाख तक पहुंचाने का आहृान किया.

खेत व ग्रामीण मजदूरों के सम्मेलन ने आने वाले 29-30 नवंबर को दिल्ली में आयोजित किसान महापड़ाव के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए उसे अपना समर्थन दिया और 8-9 जनवरी 2019 को मजदूर वर्ग की देशव्यापी हड़ताल में बढ़-चढ़कर भाग लेने और फासीवादी भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया.

सम्मेलन से रामेश्वर प्रसाद सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के खेत मजदूर नेता श्रीराम चौधरी राष्ट्रीय अध्यक्ष और धीरेन्द्र झा राष्ट्रीय महासचिव चुने गए. 265-सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद और 85-सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव हुआ. सम्मेलन में 100 से ज्यादा ग्रामीण संघर्षों से जुड़ी महिला नेताओं की उपस्थिति थी. अंत में नवनिर्वाचित राष्ट्रीय महासचिव ने जहानाबाद-अरवल के 250 से ज्यादा नेताओं-कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया जिनकी दिन-रात की मेहनत से यह राष्ट्रीय सम्मेलन सफल हुआ.

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा ग्रहीत प्रस्ताव

  1. बिहार के चंपारण में आज भी अंग्रेजी जमाने का कानून (कोर्ट्स ऑफ वार्ड) लागू है, इस कानून को यह सम्मेलन अविलंब खत्म करने की मांग करता है. पश्चिम चंपारण में भाजपा-जदयू राज में प्रशासन-अपराधी-भूस्वामी गठजोड़ द्वारा गरीबों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं. 30-35 वर्षों से बसे गरीबों को भी बेदखल किया जा रहा है. दूसरी ओर सत्ता के संरक्षण में भूस्वामियों द्वारा जमीन की लूट का खेल जारी है. यह सम्मेलन भाजपा-जदयू सरकार की गरीब विरोधी इन नीतियों व कार्रवाइयों की कड़ी निंदा करते हुए गरीबों के आंदोलन को मजबूत करने का आहृान करता है.
  2. हाल ही में गुजरात में बिहार व उत्तर भारतीय मजदूरों पर जानलेवा हमले किए गए जिसके कारण हजारों लोगों को गुजरात छोड़ना पड़ा. अन्य प्रदेशों में भी प्रवासी मजदूरों पर हमले होते रहते हैं. यह न केवल देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है बल्कि मजदूर वर्ग की एकता को तोड़ने की जबरदस्त साजिश है. हमारा सम्मेलन प्रवासी मजदूरों पर हो रहे हमलों पर तत्काल रोक लगाने और देश-परदेश में मजदूरों की सुरक्षा-सम्मान की गारंटी के लिए केंद्रीय कानून बनाने की मांग करता है.
  3. दलित-गरीबों की रोजी-रोटी, जमीन-आवास, शिक्षा-स्वास्थ्य के सवालों पर घिरी मोदी सरकार एक बार फिर मंदिर राग अलाप करके देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है. संघ-परिवार व भाजपा द्वारा लगातार न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाया जा रहा है. संविधान व सुप्रीम कोर्ट को धता बताते हुए इन फासीवादियों ने 25 नवंबर को अयोध्या चलने का नारा दिया है. यह सम्मेलन संघ परिवार की इस उन्मादी कार्रवाई को पूरी तरह नकार देने तथा देश में अमन-चैन बहाल रखने की अपील करता है.
  4. खेत व ग्रामीण मजदूरों का यह सम्मेलन आगामी 29-30 नवंबर 2018 को दिल्ली में आयोजित किसानों के महापड़ाव को अपना समर्थन देता है और उसे ऐतिहासिक बनाने की अपील करता है.
  5. यह सम्मेलन 8-9 जनवरी को मोदी सरकार के खिलाफ मजदूर वर्ग की ऐतिहासिक अखिल भारतीय हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लेता है.
  6. सफाई कमियों की लगातार हो रही मौतें और उस पर मोदी सरकार की चुप्पी बेहद खतरनाक है. हम पूरे देश में सफाई के काम में नई तकनीक के इस्तेमाल की मांग करते हैं. अभी तक इस काम में एक खास समुदाय के ही लोग शामिल रहते हैं और इसे बेहद गंदी नजर से देखा जाता है. सत्ता के इस कुलीनतावादी चरित्र के खिलाफ हम इस कार्य में आमूल बदलाव की मांग करते हैं. इसमें जीडीपी का 3 प्रतिशत खर्च करने और दस हजार की आबादी पर एक सरकारी कर्मचारी की बहाली की मांग करते हैं.
  7. वनाधिकार कानून को कमजोर करने और वनवासियों को उनके पुश्तैनी अधिकार से वंचित करने की साजिश का हम प्रतिकार करते हैं. गैर आदिवासियों के लिए वर्तमान मापदंड और घटाना चाहिए. आनन-फानन में सरकारी गैर मजरुआ जमीन को वन विभाग को सुपुर्द कर दलित-गरीबों को उजाड़ने की कोशिश नहीं चलने वाली है. जिस गांव में 50 प्रतिशत आदिवासी हैं उस गांव को संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए.
  8. नोटबंदी से तबाह हुए खेती, किसानी व असंगठित क्षेत्र में नष्ट हुए दसियों करोड़ रोजगार, मजदूरों व किसानों के दरिद्रीकरण, मनरेगा में काम व भुगतान को बाजार की दैनिक मजदूरी से काफी कम निर्धारित करने की साजिश के खिलाफ काम नहीं मिलने पर मजदूरों के लिए बेरोजगारी भत्ता के सवाल पर आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं.
  9. आज देश के गांव-गांव में नारा लग रहा है - ‘भाजपा भगाओ-गरीब बचाओ’ क्योंकि ऐसी गरीब विरोधी सरकार आज तक इस देश ने नहीं देखी था. आज साढ़े चार साल में पूरा देश भयावह त्रासदी व पीड़ा से गुजर रहा है. मोदी सरकार देश के लिए हादसा साबित हुई है. इस सरकार ने देश के गरीबों का हक छीनने का काम किया है. मोदी सरकार को हम उखाड़ फेंकने का संकल्प लेते हैं.