बिहार में बालू मजदूरों व नाविकों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल सफल रही

राज्य की नीतीश सरकार की नई बालू नीति से बेरोजगार हुए बालू मजदूरों व नाविकों ने 15 जून से मनेर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की. इस भूख हड़ताल का नेतृत्व ‘बिहार बालू मजदूर व नाविक कल्याण संघ (संबद्ध ऐक्टू) के महासचिव गोपाल सिंह ने किया.

ठेकेदार व माफिया ताकतों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गयी बालू नीति के खिलाफ तथा मशीन से बालू का खनन व लोडिंग रोकने तथा नावों का परिचालन शुरू करने की मांग पर आयोजित इस भूख हड़ताल में संघ के राज्य परिषद सदस्य चंदे्रश्वर प्रसाद व विशाल कुमार भी रहे. भूख हड़ताल शुरू होने के दिन से ही सैकड़ों मजदूर भी इसका समर्थन करने के लिए वहां पहुंचने लगे.

भूख हड़ताल करनेवालों ने बताया कि नीतीश राज में डिहरी ऑन सोन से परेव के बीच डेरा डालकर सोन नदी से बालू निकालने का काम कर अपने परिवार का पेट भरने वाले हजारों बालू मजदूरों के परिवारों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है. उन्होंने यह भी बताया कि 2010 में दोबारा सत्ता आने के साथ ही जब बालू के खनन एवं उठाव में मशीनों का उपयोग शुरू हुआ तो इसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन हुआ. बालू मजदूरों ने बिहार विधानसभा का घेराव किया और सोन नदी से बालू निकालने में लगायी गई पोकलेन मशीनों को जला दिया. आंदोलन के दबाव में 2013 में सरकार ने घोषणा की कि सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच मशीनों का उपयोग नहीं किया जायेगा. सरकार कि इस घोषणा के बाद भी इस पर लगाम तो नहीं ही लगा, उलटे बालू की लूट बंद करने के बहाने से सरकार ने 2017 में बालू खनन पूरी तरह से रोक ही दिया.

फिर जब 2018 में बालू खनन शुरू हुआ तो इसका अधिकार उन्हीं लुटेरों के हाथ में दे दिया गया जो पहले से बालू निकालते रहे हैं. 2017 से ही बालू निकालने में नावों का परिचालन बंद है, जिससे कोईलवर, आरा, डोरीगंज, सुअरमरवा, हल्दी छपरा, ब्रह्मचारी और शेरपुर समेत भोजपुर, छपरा और पटना जिले की लगभग दो हजार नावों का परिचालन बंद है, और लगभग 50 हजार मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं. पूरे बिहार में ऐसे बेरोजगार हो चुके बालू मजदूरों की तादाद लाखों में है.

भूख हड़ताल के दूसरे दिन ऐक्टू के राज्य महासचिव आरएन ठाकुर व राज्य सचिव रणविजय कुमार मनेर पहुंचे. उन्होंने वहां आयोजित सभा को संबोधित करते हुए अधिकारियों से बालू मजदूरों के साथ शीघ्र ही वार्ता करने की मांग की. 18 जून को वहां भारी जन-गोलबंदी हुई. आक्रोशित बालू मजदूरों व स्थानीय लोगों ने मनेर-पटना सड़क को तीन घंटों तक पूरी तरह से जाम कर दिया. इसके साथ ही भोजपुर में बालू मजदूरों ने भाकपा-माले नेताओं - ललन यादव व विशुन ठाकुर के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में जुलूस के साथ कोईलवर में सोन नदी पर बने पुल को भी जाम कर दिया.

पुल जाम से दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई और प्रशासन में भी अफरा-तफरी मच गई. राज्य के सहायक खनन निदेशक, दानापुर एसडीओ, बीडीओ, सीओ तथा एएसपी व थाना प्रभारी समेत कई प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी अनशनस्थल पहुंचे. उन्होंने आश्वासन दिया कि सुबह से शाम तक बालू खनन एवं उठाव में मजदूरों को लगाया जायेगा और परिवहन के लिये नावों का इस्तेमाल होगा. उन्होंने बेरोजगार हुए मजदूरों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करने, संघ के नेताओं और बालू मजदूरों व नाविकों पर दर्ज तमाम मुकदमे वापस लेने और उनकी धर-पकड़ पर रोक लगाने की भी घोषणा की.

इस सफल वार्ता के बाद, स्थल पर पहुंचे भाकपा-माले व ऐक्टू के वरिष्ठ नेताओं रामजतन शर्मा, अमर, आरएन ठाकुर और रणविजय कुमार ने विगत चार दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे नेताओं का जूस पिलाकर अनशन तोड़वाया. इस अवसर पर हुई सभा को संबोधित करने वाले नेताओं में शामिल थेः भाकपा-माले बिहटा-मनेर प्रखंड सचिव राकेश, जिला परिषद सदस्या पूनम देवी, ऐपवा नेत्री माधुरी गुप्ता, बालू मजदूर संघ नेता धर्मेन्द्र कुमार, निर्माण मजदूर यूनियन नेता पप्पू शर्मा, आदि. सभा में वक्ताओं ने कहा कि राज्य के खनन विभाग ने नयी नियमावली के तहत बालू निकालने व उठाव का काम ब्रोडसन नाम की अपनी चहेती कंपनी को दे दिया है. एक अनुमान के मुताबिक राज्य के एक बालू घाट से हर साल करीब 3 से 4 अरब रुपये का बालू निकलता है. ब्रोडसन को राज्य के तीन जिलों पटना, छपरा और भोजपुर के 167 बालू घाटों को महज 6 अरब रुपये में और वह भी पांच सालों के लिए दे दिया गया है. वक्ताओं ने कहा की बालू के इस खेल में नीतीश कुमार व बालू कम्पनी ब्राडसन के बीच कम से कम 100 करोड़ रूपये के घोटाले का खेल है. इस लूट की नीति के खिलाफ बालू मजदूरों व नाविकों के इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के आहृान के साथ सभा का सफलतापूर्वक समापन हुआ.