कार्ल मार्क्स की जन्म द्विशतवार्षिकी पर कार्यक्रम

विश्व सर्वहारा के महान शिक्षक मार्क्स की द्विशतवार्षिकी पर 5 मई 2018 को समूचे देश में भाकपा-माले और ऐक्टू ने कार्यक्रम आयोजित किये. इस मौके पर भाकपा-माले द्वारा जारी लेख को हर जगह पढ़ा गया और कार्ल मार्क्स को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.   

बिहार में गांव, प्रखंड एवं जिला स्तरों पर विभन्न किस्म के कार्यक्रमों का आयोजन करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. राजधानी पटना में गांधी मैदान के निकट जुलूस निकालकर शहीद भगतसिंह चैक पर सभा की गई. इसका नेतृत्व भाकपा-माले के केंद्रीय कमेटी सदस्य अमर, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, राज्य ऐपवा सचिव शशि यादव और अध्यक्ष सरोज चैबे, भाकपा-माले पटना नगर सचिव अभ्युदय, राज्य कमेटी सदस्य नवीन कुमार आदि ने किया. इस अवसर पर शिक्षाविद मो. गालिब, एडवोकेट जावेद अहमद, डाॅ. अलीम अख्तर, मधु मिश्रा, आइसा के राज्य अध्यक्ष मोख्तार, अनीता सिन्हा आदि उपस्थित थे. साथ ही बिहार राज्य कार्यालय में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया.

वक्ताओं ने कहा कि आज जब हम मार्क्स की दूसरी जन्मशती मना रहे हैं, तो भारत में हम सबसे धर्मान्ध और दकियानूसी शासकों की जमात का शासन झेल रहे हैं. ये लोग वैचारिक बहसों का जवाब घृणा-प्रचार, झूठ और हिंसा से देते हैं और वामपंथ की मौत का मर्सिया पढ़ते हैं. हाल ही में त्रिपुरा में मिली आश्चर्यजनक जीत के नशे में उन्मत्त इन अहंकारी लोगों ने लेनिन की मूर्ति को यह कहते हुए गिरा दिया कि वह एक विदेशी प्रतिमा है, जिसका भारत से कोई सम्बन्ध नहीं है. यही बात वे मार्क्स के बारे में भी कह रहे हैं. ये ऐसे लोग हैं जो विदेशी कम्पनियों को न्यौता देते हैं कि वे भारत आएं और भारतीय संसाधनों की लूट-खसोट करें. ट्रम्प को दुनिया का सर्वाेच्च शासक मानकर उसके सामने घुटने टेक देते हैं. और अगर इतिहास की बात की जाए तो इन संघियों केे वैचारिक पूर्वज ब्रिटिश उपनिवेशवादी मालिकों के साथ हमेशा सांठ-गांठ करते रहे.

जिस मार्क्स को ये विदेशी कहते हैं, उसी मार्क्स ने सबसे पहले 1853 में ही अंग्रेजों से भारत की आजादी का सवाल पेश कर दिया था. भारत पर लिखे गए उनके लेख इसके उदारहण हैं. दूसरी ओर भारतीय और विदेशी मूल का विभेद करने वाली संघी ताकतों ने हमेशा विदेशी प्रतीक-पुरूष तानाशाह और घोर मानवता विरोधी हिटलर को ही अपना आदर्श बनाया. ये लोग, जो मार्क्स और लेनिन का विरोध करते हैं, वे ही अम्बेडकर और पेरियार का भी विराध करते हैं. स्पष्ट है कि मामला देशी-विदेशी का नहीं है. संघी मार्क्स-लेनिन से लेकर भगत सिंह-अंबेदकर व पेरियार के सामाजिक बदलाव के महान विचारों से घृणा करते हैं. दरअसल इन विचारों से वे भयभीत रहते हैं. वे सभी लोग जो समानता, न्याय, स्वतंत्रता और भाईचारे के पक्षधर हैं और उसके लिये लड़ते हैं, उन्हें हमेशा मार्क्स से प्रेरणा मिलती रहेगी, जबकि समानता के दुश्मन हमेशा इस क्रांतिकारी महापुरुष से प्रचंड भयभीत रहेंगे और उन्हें बदनाम करने की कोशिश करेंगे.

पटना ग्रामीण के कई इलाकों में स्थानीय नेतृत्व की अगुवाई में जुलूस निकाले गये. इस दिन मुजफ्फरपुर में शहर से गांव तक परिचर्चा व मार्क्स की तस्वीर के साथ मार्च का आयोजन हुआ. जिला कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शहर के कार्यकर्ताओं सहित लेखक-कवि प्रो. नंदकिशोर नंदन, प्रो. भवानी रानी दास, मार्क्सवादी बुद्धिजीवी फुलेना सिंह, प्रो. अरविंद कुमार डे, संस्कृतिकर्मी स्वाधीन दास व राहुल कुमार सिंह, अधिवक्ता ललितेश्वर मिश्र एवं अशोक कुमार सिंह, शिक्षक गुप्तेश्वर प्रसाद, सच्चिदानंद राय, आइसा के विश्वविद्यालय अध्यक्ष मधुसूदन आदि शामिल थे. जिला सचिव कृष्णमोहन ने कार्यक्रम का संचालन किया. भागलपुर शहर में बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के जिला कार्यालय परिसर में ‘फासीवादी खतरे और मार्क्स’ विषय पर संवाद आयोजित किया गया. संवाद को पार्टी के नगर प्रभारी मुकेश मुक्त ने सम्बोधित किया. अध्यक्षता पार्टी के नगर सचिव सुरेश प्रसाद साह ने की और संचालन नगर कमेटी सदस्य सुभाष कुमार ने किया. भागलपुर जिले के अन्य इलाकों में भी कार्यक्रम आयोजित किये गए.

झारखंडः यहां ‘भाजपा हटाओ-झारखण्ड बचाओ’ आंदोलन में शामिल व्यापक जनाधार के बीच मार्क्स की शिक्षाओं का व्यापक प्रचार करने के संकल्प के साथ कार्यक्रम लिये गये. राजधानी रांची में राज्य कार्यालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम को माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य एवं ऐक्टू राज्य महासचिव शुभेंदु सेन, माले जिला सचिव भुवनेश्वर केवट के अलावा नदीम खान, जगरन्नाथ उरांव, मोहन दत्त आदि ने सम्बोधित किया. रांची जिले के बुंडू प्रखंड के हुम्टा गांव में मार्क्स की जयंती मनाई गई. गढ़वा जिले में चार स्थानों पर कार्ल मार्क्स का जन्मदिन मनाया गया. धनबाद जिले की निरसा एरिया कमेटी की ओर से जुनकुदर में सभा की गई, जिसमें मार्क्स के जीवन पर प्रकाश डाला गया और वर्तमान परिस्थिति में उनके विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा हुई. कार्यक्रम की अगुवाई कृष्णा सिंह, मनोरंजन मल्लिक, आदि ने की. इसी तरह का कार्यक्रम धनबाद जिले के सिंदरी में भी किया गया. बोकारो के जिला कार्यालय में ऐक्टू नेता देवदीप सिंह दिवाकर के नेतृत्व में कार्ल मार्क्स को श्रद्धांजलि दी गई. बैठक में जिले भर में मार्क्स जयंती वर्ष में विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में विचार-गोष्ठी आयोजित करने का कार्यक्रम लिया गया. गिरिडीह जिला में 5 मई के पदयात्रा कार्यक्रम को कार्ल मार्क्स के नाम पर समर्पित किया गया और पदयात्रा के दौरान कार्ल मार्क्स की तस्वीर लेकर गांव गांव में सभा की गई. रामगढ़ जिले में विभिन्न स्थानों पर आयोजित मार्क्स जयंती कार्यक्रमों का नेतृत्व जिला सचिव भुनेश्वर बेदिया, देवकीनंदन बेदिया, देवानंद गोप, आदि ने किया. देवघर शहर में और जामताड़ा जिले के कुंडहित प्रखंड मुख्यालय के बाजार चट्टी में भी कार्ल मार्क्स की 200वीं जयंती मनाई गई.

छतीसगढ़ः यहां भाकपा-माले और ऐक्टू ने भिलाई में एक विचार गोष्ठी आयोजित की. गोष्ठी में शामिल विभिन्न साथियों ने अपने विचार रखे. विचार गोष्ठी की अध्यक्षता जनकवि वासुकी प्रसाद उन्मत्त ने की. भाकपा-माले एवं ऐक्टू के राज्य सचिव बृजेन्द्र तिवारी, ऐक्टू नेता अशोक मिरि, जयप्रकाश नायर, श्याम लाल साहू, ‘जसम’ के सचिव घनश्याम त्रिपाठी और सुरेंद्र मोहंती ने वक्तव्य रखे.


दिल्लीः मार्क्स की जन्म द्विशतवार्षिकी के मौके पर ऐक्टू और भाकपा-माले ने दिल्ली के एक सबसे बड़े औद्योगिक इलाके बवाना में पोस्टर प्रदर्शनी लगाई. मजदूरों के बीच बड़े पैमाने पर पर्चे बाटे गए. कई मजदूरों ने अपनी उत्पीड़नकारी कार्य-स्थितियों की चर्चा की. एक महिला मजदूर ने बताया कि कई वर्षों से हर रोज 10 घंटा काम करने के बावजूद मालिक उन लोगों को सिर्फ 6000रु. प्रति माह मजदूरी देता है. दिल्ली में लाखों मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित रखा जा रहा है. कई श्रमिकों ने ऐक्टू नेताओं से निवेदन किया कि वे अपनी-अपनी जगहों पर हड़ताल संगठित करने में उनकी मदद करें, क्योंकि मालिकों को अपनी बात समझाने के लिए इसके सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बच गया है. मजदूरों के बीच इतने नए संपर्क मिलने के बाद ऐक्टू के साथियों ने दिल्ली में मजदूर आंदोलन को शक्तिशाली बनाने का संकल्प लिया. साथ ही, 19 मई को ‘‘मार्क्स और हमारा समय...’’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें खासकर छात्र-युवाओं की अच्छी भागीदारी थी. सेमिनार को भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, मार्क्सवादी अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक, मार्क्सवादी राजनीतिक चिंतक प्रो0 अचिन वनायक और पत्रकार उर्मिलेश ने संबोधित किया.


पंजाबः यहां 13 मई को गुरदासपुर शहर के वर्मा पैलेस में राज्यस्तरीय जन-कन्वेंशन आयोजित किया गया. इस कन्वेंशन की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखक डा. अनूप सिंह ने की. कन्वेंशन को मुख्य वक्ता के रूप में भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सम्बोधित किया. कन्वेंशन को भाकपा-माले के पंजाब राज्य सचिव गुरमीत सिंह बख्तपुरा, केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजविंदर राणा, सुखदर्शन नत्त और भगवंत समाओ के साथ ही बलबीर रंधावा, सुखदेव भागोकावां, गुलजार सिंह एवं विजय कुमार ने भी सम्बोधित किया.

उत्तराखण्डः यहां हल्द्वानी शहर में ‘मार्क्स के दो सौ साल और वर्तमान चुनौतियां’ विषय पर नगर निगम हाॅल में गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी में भाकपा-माले के अलावा भाकपा, माकपा, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, समाजवादी लोक मंच, जनवादी लोकमंच, अम्बेडकर मिशन व अन्य स्वतंत्र बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि ने भाग लिया. भाकपा-माले के केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजा बहुगुणा ने मुख्य वक्ता के बतौर गोष्ठी को सम्बोधित किया.  विचार गोष्ठी में संकल्प लिया गया कि मौजूदा दौर में सभी प्रगतिशील वामपंथी संगठन मिलकर फासीवाद का मुकाबला करेंगे. गढ़वाल के श्रीनगर में छात्र संगठन आइसा ने गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर में ‘मार्क्सवाद की आज के समय में प्रासंगिकता’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाकपा-माले की केन्द्रीय कमेटी सदस्य सुचेता दे मौजूद रहीं. बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम में शिरकत की और सवाल-जवाब वाले सत्र में उनकी उत्साहजनक भागीदारी रही. गोष्ठी में भाकपा-माले के राज्य कमेटी सदस्य इन्द्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव अतुल सती एवं आइसा नेता शिवानी पाण्डेय ने भी वक्तव्य रखे. रुद्रपुर में 6 मई को सिडकुल श्रमिक संयुक्त मोर्चे के बैनर तले गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें भाकपा-माले, भाकपा, इंकलाबी मजदूर केन्द्र्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन व विभिन्न मजदूर यूनियनों के नेताओं ने शिरकत की.

उड़ीसाः यहां भुवनेश्वर में 22 मई को सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, छात्रों और मजदूरों ने भागीदारी की. सेमिनार के मुख्य वक्ता दीपंकर भट्टाचार्य थे.

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, त्रिपुरा समेत अन्य राज्यों में भी द्विशतवार्षिकी के अवसर पर रैलियां व आम सभाएं की गईं और झंडे फहराए गए.

कार्ल मार्क्स की जन्म द्विशतवार्षिकी के अवसर पर विभिन्न रूपों में कार्यक्रम जारी हैं.