का. भास्कर नंदी

नक्सलबाड़ी आंदोलन की अगली पांत के नेता का. भास्कर नंदी का 4 मई की सुबह जलपाईगुड़ी स्थित अपने आवास में निधन हो गया. वे लंबे समय से गले के कैंसर से जूझ रहे थे. 1960 के दशक में का. नंदी अपनी उच्चतर शिक्षा के लिए विदेश गए थे और भारत लौटने तथा नक्सलबाड़ी आंदोलन में शरीक होने के पूर्व उन्होंने कुछ समय के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र का अध्यापन भी किया था उन्होंने आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी के पहले असम और त्रिपुरा में भाकपा-माले के निर्माण और विस्तार में नेतृत्वकारी भूमिका अदा की थी. जेल से निकलने के बाद वे पीसीसी, सीपीआइ-एमएल के पोलितब्यूरो सदस्य की हैसियत से काम करते रहे. 1980 के दशक से उन्होंने विभिन्न सांप्रदायिकता-विरोधी अभियानों और पहचान-आधारित आंदोलनों के साथ भी मिलकर काम किया. वे पीसीसी के अंतिम महाधिवेशन में इस संगठन के महासचिव चुने गए. भाकपा-माले की केंद्रीय कमेटी की ओर से अभिजित मजुमदार उनके दाह-संस्कार में शामिल हुए. ु