दिल्ली में फैक्टरियों में लगने वाली आग में मजदूरों की मौत के खिलाफ प्रदर्शन

हाल के समय में दिल्ली में फैक्टरियों में लगने वाली आग में मजदूरों की मौत के खिलाफ ऐक्टू ने 12 अप्रैल 2018 को विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर से शुरु होकर, सिविल लाइन्स होते हुए यह प्रतिरोध मार्च दिल्ली के श्रम मंत्री के निवास तक गया. प्रदर्शनकारियों को बीच रास्ते में दिल्ली पुलिस ने रोक लिया, इसके बाद चार लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल मंत्री के निवास पर गया, और इस बीच पुलिस बैरिकेड पर ही विरोध प्रदर्शन चलता रहा. दिल्ली के विभिन्न इलाकों के मजदूरों ने इस प्रदर्शन में भागीदारी की.

प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह कतई आश्चर्यजनक बात है कि दिल्ली सरकार, दिल्ली में लगातार मजदूरों की सुरक्षा करने में असफल रही है, और 20 जनवरी 2018 को बवाना में, 7 अप्रैल को नरेला और 9 अप्रैल को सुल्तानपुरी में लगी आग इस बात का सबूत है. इन फैक्टरियों में, संबंधित सरकारी निकायों द्वारा, फैक्टरी ऐक्ट, न्यूनतम वेतन ऐक्ट, ट्रेड यूनियन ऐक्ट, औद्योगिक विवाद ऐक्ट जैसे श्रम कानूनों को लागू ना किए जाने के कारण इन मजदूरों की मौत हुई है.

दिल्ली ऐक्टू के अध्यक्ष संतोष रॉय ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि, ”देश की राजधानी के तौर पर, दिल्ली को मजदूरों के लिए सुरक्षित एवं बेहतर कार्य परिस्थितियों के निर्माण के लिए नेतृत्व करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपने वादों से मुकर गई है और वह मजदूरों की जिंदगी पर निजी मुनाफे को तरजीह दे रही है. उन्होंने श्रमिक अधिकारों के सतत संघर्ष के लिए व्यापक मजदूर वर्ग आंदोलन खड़ा करने और विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठनों के एकसाथ आने की जरूरत पर ज़ोर दिया.’’

प्रदर्शन में संगवारी सांस्कृतिक समूह ने भी भागीदारी की और जनगीतों की प्रस्तुति की. इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भी मजदूरों के साथ मार्च और प्रदर्शन में हिस्सेदारी की. श्रम मंत्री के निवास पर गए प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन सौंपा और इस मुद्दे पर फौरन ध्यान देने की ज़रूरत पर जोर दिया, उन्होने एक मांगपत्र दिया, जिसमें मौत के हर मामले में 50 लाख रु. के मुआवजे के साथ एक आश्रित को स्थाई सरकारी नौकरी की मांग भी शामिल थी.

प्रतिनिधिमंडल ने इस बात की तरफ इशारा किया कि कैग की ऑडिट रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के श्रम विभाग की कई कमियों पर रौशनी डाली गई है, जिससे यह साफ पता चलता है कि दिल्ली सरकार मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर कतई चिंतित नहीं है. प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया कि इन मुद्दों पर आने वाले हफ्ते में बैठक की जाएगी.

मजदूर वर्ग के प्रति दिल्ली सरकार के संवेदहीन रवैये की निंदा करते हुए आने वाले दिनों में मजदूरों के अधिकारों के लिए दिल्ली की सड़कों पर और भी बड़े आंदोलन को चलाने के आहृान के साथ प्रदर्शन का समापन हुआ.