अलविदा कामरेड शंकर जोशी! लाल सलाम!

अलविदा कामरेड शंकर जोशी! लाल सलाम!

आज मैं दिल्ली में हूँ और मन काफी उदास है। उत्तराखंड के बिन्दुखत्ता का हमारा एक प्यारा कामरेड शंकर जोशी कैंसर से लड़ते लड़ते कल रात इस दुनियां से विदा ले लिया है। एक जिंदा दिल इंसान। एम्स में जब शंकर का इलाज चल रहा था तो डॉक्टर शंकर को देख कर कहते थे मरीज कहाँ है उसे लाओ। शंकर ने उस कठिन दौर में भी कई मरीजों की वहां मदद की। शंकर के बड़े भाई बिशनदत्त जोशी बिन्दुखत्ता के भूमि दखल आंदोलन के दौरान ही भाकपा (माले) से जुड़ गए थे। उनके माध्यम से उनके तीन और भाई कमलापति जोशी, गोपालदत्त जोशी और शंकर जोशी भी पार्टी जुड़े। शंकर जोशी युवावस्था में ही पार्टी से जुड़ गए थे। 1995 में सेंचुरी मिल पर चले रोजगार आंदोलन और हाल के नगर पालिका विरोधी आंदोलन में कामरेड शंकर जोशी की भूमिका को जन आंदोलनों के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। अलविदा कामरेड शंकर जोशी ! लाल सलाम !