‘‘घर चाहिये, नफरत नहीं’’ ग्रामीण गरीबों की फैजाबाद में महासंसद

संघ-भाजपा द्वारा मंदिर मुद्दे को आगे कर जनता के जरूरी सवालों को पीछे धकेलने, मोदी सरकार की पांच साल की विफलताओं से ध्यान भटकाने और चुनावी साल में ध्रुवीकरण कराने की कोशिशों के बीच, 9 फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी तादाद में फैजाबाद-अयोध्या पहुंचे ग्रामीण गरीबों ने अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के बैनर तले मजदूर महासंसद लगा कर हुंकार भरी और भोजन, जमीन, आवास, आजीविका, सम्मान, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दे उठाकर दावेदारी पेश की. महासंसद से पहले, फैजाबाद रेलवे स्टेशन से लाल झंडे-बैनरों और मोदी-योगी सरकार के खिलाफ जोरदार नारों के साथ मार्च निकाला, जो मुख्य मार्ग से होते हुए रोडवेज बस स्टैंड की निकट गांधी पार्क पहुंचा और मजदूर महासंसद में बदल गया.

इसे संबोधित करते हुए खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि मोदी सरकार अडानी-अंबानी व कॉरपोरेट घरानों के लिए काम कर रही है. आज देश के सत्तर करोड़ गरीबों के पास रहने के लिए आवास की भूमि, भोजन, पढ़ाई-दवाई व रोजगार नहीं है. देश की आधी से अधिक पूंजी मात्र नौ घरानों के कब्जे में है. एक तरफ गरीबी का समुद्र है, दूसरी तरफ अमीरों की सोने की लंका है. इसका दहन गरीबों को अपनी एकता व संघर्ष से करना है. उन्होंने कहा कि फैजाबाद गंगा-जमुनी तहजीब, शहीद अशफाकउल्ला व कम्युनिस्ट आंदोलन की धरती है. मोदी-योगी की सरकार सांझी संस्कृति, मनुष्यता व  सभ्यता को नष्ट कर देना चाहती है. संघ के लोग आजादी के लड़ाई में कहीं नहीं दिखाई दिए. वे भगत सिंह व गांधी के सपनों के भारत के खिलाफ थे. वे मौजूदा संविधान की जगह मनुवादी व्यवस्था का संविधान चाहते थे. इसीलिए उन्होंने गांधी की हत्या का समर्थन किया. अभी 30 जनवरी (शहीद दिवस) को संघी सोच वाले लोगों ने पुनः गांधी के पुतले को गोली मारी और इसकी नुमाइश की. ऐसे लोग मोदी-योगी के साथ हैं और मोदी-योगी की सरकारें इनके साथ. ये अंबेडकर से भी दिल से नफरत करते हैं. ये कभी बराबरी का समाज नहीं बनने देंगे. उन्होंने कहा कि 2018 का साल बड़े किसान आंदोलनों का गवाह बना. वर्ष 2019 की शुरूआत मजदूरों की राष्ट्रीय हड़ताल व यंग इंडिया अधिकार अभियान के सफल संसद मार्च से गुंजायमान रही. और आज की यह मजदूरों की महासंसद मोदी की सत्ता से बेदखली को सुनिश्चित करेगी. उन्होंने आगामी लोकसभा के चुनाव में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आहृान किया.

महासंसद को खेग्रामस के सम्मानित अध्यक्ष व पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चैधरी, भाकपा-माले के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव सुधाकर यादव, भाकपा-माले के बिहार विधानसभा में विधायक व राज्य कमेटी सदस्य सत्यदेव राम, खेग्रामस के उपाध्यक्ष टी.आर. बालू, भाकपा व माकपा के फैजाबाद जिला सचिव क्रमशः रामतीर्थ पाठक व माताबदल, इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष अतीक एवं सचिव राकेश सिंह, ऐपवा नेता मीना और एलआईसी कर्मचारियों के नेता आर.डी. आनंद ने भी संबोधित किया. अध्यक्षता खेग्रामस के राष्ट्रीय पार्षद अखिलेश चतुर्वेदी तथा संचालन प्रदेश महासचिव राजेश साहनी ने किया. इस अवसर पर भाकपा-माले के पोलिट ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य भी महासंसद के मंच पर मौजूद रहे. धन्यवाद ज्ञापन भाकपा-माले राज्य कमेटी के सदस्य रामभरोस ने किया. कार्यक्रम में महिलाओं की अच्छी-खासी उपस्थिति उल्लेखनीय थी.
फैजाबाद मजदूर महासंसद से पारित प्रस्तावः

  • दलितों-गरीबों को, जो जहां बसे हों, केंद्र व राज्य सरकार उन्हें उन जमीनों का मालिकाना अधिकार कानून बनाकर दे. भूमिहीनों, गृह-विहीनों का राष्ट्रीय रजिस्टर बनाते हुए आवास के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल किया जाए.
  • मिर्जापुर, सोनभद्र, फैजाबाद, तराई सहित पूरे प्रदेश में बगैर वैकल्पिक आवास-आजीविका के दलितों-गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाई जाए.
  • शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए और शौचालय बनाने की धनराशि बढ़ा कर पचास हजार रुपए की जाए.
  • सभी गरीब महिला-पुरुष जिनकी उम्र 55 वर्ष हो चुकी है, उन्हें न्यूनतम पांच हजार रुपए मासिक पेंशन दी जाए.
  • फैजाबाद जिले की सहोदरा चौहान समेत 26 अन्य भूमिहीनों को मिले आवासीय भूखंड पर राजस्व अधिकारी द्वारा लगाई रोक की निंदा करता है और यह रोक अविलंब वापस लेने की मांग करता है.
  • केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार दलितों, आदिवासियों व गरीबों को जमीन, आवास, शिक्षा व रोजगार से वंचित करने की साज़िश कर रही है. महासंसद इसकी निंदा करता है.
  • संविधान प्रदत्त आरक्षण में किसी भी तरह की छेड़छाड़ का विरोध करता है, 10 प्रतिशत आर्थिक आरक्षण को रद्द करने और उच्च शिक्षण संस्थानों में 13 प्वाइंट की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के लिए अध्यादेश लाने की मांग करता है, ताकि एससी-एसटी-ओबीसी को आरक्षण का लाभ मिल सके. साथ ही, रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल करने की मांग करता है.

- अरुण कुमार