बेरोजगारी और मजबूरी में पलायन के खिलाफ गढ़वा में मार्च

झारखंड राज्य में रोजगार के अभाव में पलायन के कारण आंध्र प्रदेश के पत्थर क्रैशर प्लांट में रेजो और बाना गांव के नौजवान मजदूर मुनिप पासवान व कंचन पासवान के मारे जाने के खिलाफ ऐक्टू से संबद्ध झारखंड जनरल मजदूर यूनियन व भाकपा-माले के बैनर तले गत 7 अगस्त 2018 को गढ़वा जिला के मेराल हाई स्कूल के मैदान से मुख्य सड़क होते हुए प्रखंड कार्यालय तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया. बाद में प्रदर्शनकारियों की ओर से झारखंड के राज्यपाल के नाम 7 सूत्री मांगपत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी, मेराल को सौंपा गया. तत्पश्चात प्रखंड कार्यालय और मेराल डंडई चैक पर प्रतिवाद सभा की गई. सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले व यूनियन के नेताओं ने कहा कि भाजपा की रघुवर सरकार जॉब कार्ड रहने के बावजूद भी शिक्षित व बेरोजगार नौजवानों को काम न दे कर पलायन के लिए मजबूर करती रही है, जिसके नतीजतन गढ़वा समेत झारखंड के मजदूर बेमौत मारे जा रहे हैं. रेजो और बाना गांव के मुनीप पासवान और कंचन पासवान को अगर स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला होता तो पलायन के लिए वे मजबूर नहीं होते न ही उनकी जान जाती.

घटना इस प्रकार है कि आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले के आलूरु थाना के गांव हाथीवेडगड़, बेलारी रोड में 3 अगस्त 2018 की शाम को करीब 7 बजे क्रेशर प्लांट पत्थर खदान में हुए भयंकर विस्फोट में 12 मजदूर मारे गए जिनमें से गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड के गांव रजो और बाना के मुनिप पासवान और कंचन पासवान शामिल हैं. दो अन्य लोग विकास पासवान और दिलीप कुमार साव घायल हैं. माले व यूनियन नेताओं की एक टीम, जिसमें जिला सचिव काली चरण मेहता, सत्येन्द्र मेहता, ब्रह्मदेव चैधरी, लियाकत अंसारी आदि शामिल थे, पीड़ित परिवारों से मिली. टीम ने बताया कि रोजगार देने में विफल भाजपा सरकार ही इन नौजवान मजदूरों के मारे जाने की असली जिम्मेवार है. जब इन मजदूरों के पास जॉब कार्ड रहते हुए भी इन्हें एक दिन भी काम नही मिला तो वे विवश होकर पलायन कर गये और आंध्र प्रदेश जाकर क्रैशर में काम करते हुए मौत के मुंह में समा गए. इस घटना से रघुवर सरकार का मजदूर विरोधी चेहरा उजागर हुआ है. नौजवानों की बेरोजगारी दूर करने का कोई उपाय नहीं कर रही. ऐसी सरकार को आगामी 2019 के चुनाव में अवश्य ही धूल चटानी होगी.

राज्यपाल को भेजे गये ज्ञापन में मुख्य मांगें थींः

मृतक दोनों नौजवान मजदूरों के हर परिवार को 25 लाख रुपये और घायलों को 10 लाख रुपया मुआवजा देने के लिए झारखंड सरकार आंध्र प्रदेश सरकार और प्लांट मालिक को बाध्य करे; मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाए; रोजगार नहीं देने व पलायन को रोकने में अक्षम झारखंड सरकार पर कार्रवाई की जाए ताकि पलायन पर रोक लगाने के लिए रोजगार की गारंटी की जा सके; झारखंड सरकार मृतक के परिवारों को प्रति परिवार 10 लाख रुपया मुआवजा दे; मनरेगा में नियमित काम  और 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देने की गारंटी की जाए; और झारखंड सरकार आंध्रप्रदेश सरकार पर दबाव देकर क्रेशर कंपनी मालिक पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराए. ु