इस्पात कारख़ाना के ठेका श्रमिक इसबार फिर बोनस से वंचित 

सेंटर ऑफ़ स्टील वर्कर्स  (ऐक्टू) ने गांधी  चौक सेक्टर चार में एक दिवसीय धरने का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता एस एन प्रसाद ने किया.  

सेंटर ऑफ़ स्टील वर्कर्स ने  इस एक दिवसीय आयोजित धरने के ज़रिये इस्पात कर्मियों को इस पार फिर बोनस के अदायगी नहीं होने का विरोध करते हुए एतराज़ जताया. यूनियन के महामंत्री देव दीप सिंह दिवाकर ने कहा कि सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स शुरु  से ठेका कर्मियों को इस्पात मज़दूर  घोषित करने का माँग उठाते रहा है. उन्होंने कहा कि आज प्लांट का पूरा उत्पादन ठेका मज़दूरों पर निर्भर है, जो भी मुनाफ़ा इस्पात कारख़ाना आज अर्जित कर रहा है और उसका महत्वपूर्ण हिस्सा ठेका मज़दूरों  द्वारा उपार्जित किया जाता है.  इसलिए मुनाफ़े में हिस्सेदारी ठेका श्रमिकों को भी मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो यूनियनें सालों भर ठेका मज़दूरों की बात करते हैं उन्हीं के राष्ट्रीय नेता NJCS (national joint committee for steel hereinafter NJCS) में बोनस तय करते हैं लेकिन ठेका मज़दूरों के बोनस पर चर्चा तक नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि आश्चर्य तब होता है जब ये यूनियने ठेका मज़दूरों के साथ हुए नाइंसाफ़ी  पर चुप रह जाती हैं.  इस तरह ठेका मज़दूर लगातार धोखे का शिकार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी यूनियन धरना के माध्यम से ठेका मज़दूरों के लिए दशहरा से पहले बी एस एल कर्मियों के बराबर बोनस भुगतान  का माँग करती है. उन्होंने कहा कि वेज रीविजन, लीभ इनकैशमेंट , पेंशन जैसे मुद्दों को हल होने तक सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स संघर्षरत है. 

यूनियन के उपाध्यक्ष जे एन सिंह ने कहा कि बोकारो प्रबंधन स्थानीय स्तर पर भी मज़दूरों के साथ असंवेदनशीलता दर्शाती है. पूरे सेक्टर के आवास  जर्जर हो रहे हैं सेक्टर के सड़कें भी मरम्मती के बिना गड्ढों में तब्दील होती जा रही हैं लेकिन बोकारो प्रबंधन अपने मुनाफ़े का हिस्सा मेंटेनेंस पर ख़र्च नहीं करती है. उन्होंने कहा कि लाइसेंस पर दिए जाने वाले आवास की हालत ज़र-ज़र हो चुकी है, लेकिन प्रबंधन भाड़ा मनमाने तरीक़े से बढ़ा देता है. हमारी यूनियन हमेशा इस पक्ष में रही है कि उपलब्ध आवास पर ठेका मज़दूरों को तत्काल उपलब्ध कराना चाहिए. 

वक्ताओं ने कहा कि बोकारो जनरल अस्पताल की व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है. कोरोना काल में भी व्यवस्था चाक-चौबन्द करने की बात तो दूर, साधारण इलाज करवाने में बी एस एल कर्मियों को काफ़ी परेशानी हो रही है. इसका सुधार किया जाना, आधुनिक उपकरण लगाना तथा आज की तारीख में इनका प्रासंगिक होना  अतिआवश्यक एवं वक्त की मांग है. वक्ताओं ने कहा कि सभी समस्याओं के मूल में  सरकार की नीतियॉ हैं. शहर/देश में मौतों का शिलशिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है लेकिन इस कोरोना काल में भी बेशर्मी से नीजिकरण और आउट सोर्सिंग बदस्तूर जारी है. धरना कार्यक्रम को संबंधित करने वाले अन्य वक्ताओं में लोकनाथ सिंह, देवलोचन राम, एस एन प्रसाद, एस जी के सिन्हा, सूरज सिंह,  डी पंडित, एम पी भक्ता, सी पी सिंह, आर पी वर्मा, आर बी भगत, के एन प्रसाद , एस सी पीशर्मा,डी डी प्रसाद,आर के राय,ए पी शर्मा, ओमराज प्रमुख थे.